Friday, September 30, 2011

३०/९/२०११.
आज सुबह राजकोट से श्री सुरेश गनात्राजी ने बहुत नाजुक पर एहेम विषय पर चिंतन भेजा जिसका हिंदी अनुवाद यहाँ रख रहा हु , में इस विषय को इस लिए एहेम मान रहा हु क्यों की ये बात मेरी जनि परखी हुई है, इस बारेमे मैंने निज अनुभव किया है, इस विषय में बाकि लोगो की राय भिन्न हो शक्ति है पर खास कर में इस बात से पूरी तरह सहमत हु.
जीवन दर्शन का हिंदी भावानुवाद -- आंसू के बारेमे एक बात समज लीजिये | जब भी मानवी के मन का कोई भाव मन के ऊपर हावी हो जाये और उस भाव को संभालना मुश्किल हो जाये तब वह भाव आंसुओ के द्वारा बेहेने लगता है | ये आंसू सुख के भी हो शकते है दुःख के भी हो शकते है, ये आंसू उत्सव के भी हो शकते है, उदासी के भी हो शकते है | आंसू बेहेने का कारण कोई भी हो यह मानवी को निर्भार (हल्का)कर देते है | आंसू मनमे हावी हुए सुख या दुःख के भावो की निकास है | बरसात हो जाने के पश्चात जल बिन्दुओ से मुक्त हुए स्वच्छ बादल जैसे आकाश में ऊपर की और चढ़ने लगते है उसी प्रकार मानवी भी आंसुओ के बोज से मुक्त होकर परमात्मा के आकाश में आनंद पूर्वक विहार करने लगता है , और इसी प्रकार आंसू से पवित्र हुई आँखों से उसे इश्वर के दर्शन अवश्य हो जाते है | आंसुओ को रोकिये मत | आंसू मनुष्य को परमात्मा के सान्निध्य में पहुचता है

आशा करता हु आप को पसंद आया होगा.
धन्यवाद
राहुल पंड्या
दमण