Thursday, September 22, 2016

रातो 11-11:30 का समय है, बीजली चमकती है भारी बारिश है,
आपका 20-22-25 वर्ष का पुत्र दोस्तो के साथ night out करने, गाडी लेकर गया है, अभी तक आया नही है ...

आपके पुत्र का फोन आता है, घर से लगभग 10 कीमी की दुरी पर हाईवे पर, सभी दोस्तो को उनके घर उतार देने के बाद... अचानक गाडी बंध हो गई है.... वो अकेला है....  
अब आप रात को चैन से सो पायेंगे? ....

अब आप कल्पना करे.... ऐसे परिवार की.... जिनका आपके बेटे की उम्र का बेटा जो गत 5-6 महिने से घर नही आ पाया है। कारण उसे नोकरी मे से छुट्टी नही मिल पाती है।

वो नौकरी करता है इस लिए आपका पुत्र नाईट आउट करने बाहर जा सकता है।

वो 15-17 किलो का बोझ उठाकर दिन रात देखे बीना..... कश्मीर मे पत्थर खाता है.... इसी लिए  आप पिकनिक कर पाते है.....

वो बेटा माईनस शून्य तापमान मे कारगिल मे पेट्रोलिंग करता है तो आप रात मे घरमे बैठकर टाईम पास करने वोट्स एन पर दुनिया भर की तेरी मेरी कर सकते हो....

आपके बेटे का फोन आया गाडी बीगड गई है... तो आपकी एक दो घंटे की नींद बीगड गई ....

कल्पना करे उस परिवार की जे सोता नही है.... महिनो से जब से उनका बेटा फौज की नौकरी मे लगा है....

कल्पना करो उस दृश्य की.....
जब 5 साल का बेटा 30 वर्ष के पिता की चिता को आग देता है....

एक 55 वर्ष के पिता अपने 30 वर्ष के बेटे की अर्थी को कंधा देते है.....

क्या... हमारी संवेदनशीलता मर चुकी है ?

देश .... राष्ट्र के लिए अभिमान, आजादी ये सभी शब्द मात्र शब्द बनकर रह गये है ?

पांच  वर्ष मे एकबार समय मिले तो वोट देने के अलावा सोशल मिडिया पर कोपी पेस्ट करने के शिवा हमने और क्या किया ?

भ्रष्टाचार की बाते करने के अलावा हमने 50% भी सही टेक्श भरा ? या फिर इधर उधर की सेटीन्ग की और बचा लिया ?

ट्राफिक सिग्नल के पास हवलदार खडा हो तो.... ना होने पर हम कभी रूके ?

ट्रेन मे बीना टिकट पकडे जाने पर पेनल्टी भरी या TC को पटा लिया?

पराये देशो की स्वच्छता सफाई की भरपुर बाते की...
पर खुद का कचरा कभी उठाया है ?

वो हक जो राष्ट्र से हमे मिला है उसके प्रति अपने फर्ज अदा कया ?

अहिंसा के लिए बडा भोग दिया लेकिन हम अहिंसक रह पाये.... ? वो किसके कारण.... थोडा सोचो....

ईजरायल और अमरीका की बाते की...
वहा प्रत्येक नागरिक को कम से कम दो वर्ष राष्ट्र सेवा हेतु फौज मे देने पडते है... कम्पल्सरी।
हमने यहां अपने आपको सक्षम करने के लिए भी ज्युडो,  कराटे शीखने का प्रयत्न किया ?

सरकार मतलब 66 वर्ष का वृध्द ... जिसने वर्षो से कोई छुट्टी नही ली है, जो आज भी 24×7×14 घंटे अपने से जो सर्वोत्तम हो शके वो राष्ट्र के लिए करता है।

उसकी 56 की छाती की चर्चा छोडो अपनी छाती को 42 की तो बनाओ !!

एक सुंदर वाक्य है....

Dont say..what the nation can do for u...
Think what u can do for your nation...

Wednesday, September 21, 2016

तुलसी के पौधे से आसन्न विपत्ति का
भान होता है !!

क्या आपने कभी इस बात पर ध्यान दिया
कि आपके घर,परिवार या आप पर कोई
विपत्ति आने वाली होती है तो उसका असर
सबसे पहले आपके घर में स्थित तुलसी के
पौधे पर होता है।

आप उस पौधे का कितना भी ध्यान रखें,
धीरे-धीरे वह पौधा सूखने लगता है।

तुलसी का पौधा ऐसा है जो आपको पहले
ही बता देगा कि आप पर या आपके घर
परिवार को किसी मुसीबत का सामना
करना पड़ सकता है।

पुराणों और शास्त्रों के अनुसार माना जाए
तो ऐसा इसलिए होता है कि जिस घर पर
मुसीबत आने वाली होती है,
उस घर से सबसे पहले लक्ष्मी यानी तुलसी
चली जाती है।

क्योंकि दरिद्रता,अशांति या क्लेश जहां
होता है वहां लक्ष्मी जी का निवास नही
होता है।

अगर ज्योतिष की माने तो ऐसा बुध के
कारण होता है।
बुध का प्रभाव हरे रंग पर होता है और
बुध को पेड़ पौधों का कारक ग्रह माना
जाता है।

ज्योतिष में लाल किताब के अनुसार बुध
ऐसा ग्रह है जो अन्य ग्रहों के अच्छे और
बुरे प्रभाव जातक तक पहुंचाता है।

अगर कोई ग्रह अशुभ फल देगा तो उसका
अशुभ प्रभाव बुध के कारक वस्तुओं पर
भी होता है।

अगर कोई ग्रह शुभ फल देता है तो उसके
शुभ प्रभाव से तुलसी का पौधा उत्तरोत्तर
बढ़ता रहता है।
बुध के प्रभाव से पौधे में फल फूल लगने
लगते हैं।

प्रतिदिन चार पत्तियां तुलसी की सुबह
खाली पेट ग्रहण करने से मधुमेह,रक्त
विकार,वात,पित्त आदि दोष दूर होने
लगते है।

मां तुलसी के समीप आसन लगा कर यदि
कुछ समय हेतु प्रतिदिन बैठा जाये तो श्वास
के रोग अस्थमा आदि से जल्दी छुटकारा
मिलता है।

घर में तुलसी के पौधे की उपस्थिति एक
वैद्य समान तो है ही यह वास्तु के दोष भी
दूर करने में सक्षम है हमारें शास्त्र इस के
गुणों से भरे पड़े है।

जन्म से लेकर मृत्यु तक काम आती है
यह तुलसी....
कभी सोचा है कि मामूली सी दिखने वाली
यह तुलसी हमारे घर या भवन के समस्त
दोष को दूर कर हमारे जीवन को निरोग
एवम सुखमय बनाने में सक्षम है माता के
समान सुख प्रदान करने वाली तुलसी का
वास्तु शास्त्र में विशेष स्थान है।

हम ऐसे समाज में निवास करते है कि
सस्ती वस्तुएं एवम सुलभ सामग्री को
शान के विपरीत समझने लगे है।

महंगी चीजों को हम अपनी प्रतिष्ठा
मानते है।
कुछ भी हो तुलसी का स्थान हमारे
शास्त्रों में पूज्यनीय देवी के रूप में है।

तुलसी को मां शब्द से अलंकृत कर हम
नित्य इसकी पूजा आराधना भी करते है।

इसके गुणों को आधुनिक रसायन शास्त्र
भी मानता है।

इसकी हवा तथा स्पर्श एवम इसका भोग
दीर्घ आयु तथा स्वास्थ्य विशेष रूप से
वातावरण को शुद्ध करने में सक्षम
होता है।

शास्त्रानुसार तुलसी के विभिन्न प्रकार
के पौधे मिलते है उनमें श्रीकृष्ण तुलसी,
लक्ष्मी तुलसी,राम तुलसी,भू तुलसी,नील
तुलसी,श्वेत तुलसी,रक्त तुलसी,वन तुलसी,
ज्ञान तुलसी मुख्य रूप से विद्यमान है।

सबके गुण अलग अलग है शरीर में नाक
कान वायु कफ ज्वर खांसी और दिल की
बिमारियों  परविशेष प्रभाव डालती है।

वास्तु दोष को दूर करने के लिए तुलसी के
पौधे अग्नि कोण अर्थात दक्षिण-पूर्व से
लेकर वायव्य उत्तर-पश्चिम तक के खाली
स्थान में लगा सकते है यदि खाली जमीन
ना हो तो गमलों में भी तुलसी को स्थान
दे कर सम्मानित किया जा सकता है।

तुलसी का गमला रसोई के पास रखने
से पारिवारिक कलह समाप्त होती है।

पूर्व दिशा की खिडकी के पास रखने से
पुत्र यदि जिद्दी हो तो उसका हठ दूर
होता है।

यदि घर की कोई सन्तान अपनी मर्यादा
से बाहर है अर्थात नियंत्रण में नहीं है तो
पूर्व दिशा में रखे।

तुलसी के पौधे में से तीन पत्ते किसी ना
किसी रूप में सन्तान को खिलाने से
सन्तान आज्ञानुसार व्यवहार करने
लगती है।

कन्या के विवाह में विलम्ब हो रहा हो
तो अग्नि कोण में तुलसी के पौधे को
कन्या नित्य जल अर्पण कर एक
प्रदक्षिणा करने से विवाह जल्दी
और अनुकूल स्थान में होता है।
सारी बाधाए दूर होती है।

यदि कारोबार ठीक नहीं चल रहा तो
दक्षिण-पश्चिम में रखे तुलसी के गमले
पर प्रति शुक्रवार को सुबह कच्चा दूध
अर्पण करे व मिठाई का भोग रख कर
किसी सुहागिन स्त्री को मीठी वस्तु देने
से व्यवसाय में सफलता मिलती है।

नौकरी में यदि उच्चाधिकारी की वजह
से परेशानी हो तो ऑफिस में खाली
जमीन या किसी गमले आदि जहाँ
पर भी मिटटी हो वहां पर सोमवार
को तुलसी के सोलह बीज किसी
सफेद कपडे में बाँध कर सुबह
दबा दें।
सम्मान में वृद्धि होगी।

नित्य पंचामृत बना कर यदि घर कि महिला
शालिग्राम जी का अभिषेक करती है तो घर
में वास्तु दोष हो ही नहीं सकता।

अति प्राचीन काल से ही तुलसी पूजन
प्रत्येक सद्गृहस्थ के घर पर होता आया है।

तुलसी पत्र चढाये बिना शालिग्राम पूजन
नहीं होता।

भगवान विष्णु को चढायेप्रसाद,श्राद्धभोजन,
देवप्रसाद,चरणामृत व पंचामृत में तुलसी
पत्रहोना आवश्यक है अन्यथा उसका भोग
देवताओं को लगा नहीं माना जाता।

मरते हुए प्राणी को अंतिम समय में गंगा
जल के साथ तुलसी पत्र देने से अंतिम
श्वास निकलने में अधिक कष्ट नहीं सहन
करना पड़ता।

तुलसी के जैसी धार्मिक एवं औषधीय गुण
किसी अन्य पादप में नहीं पाए जाते हैं।

तुलसी के माध्यम से कैंसर जैसे प्राण घातक
रोग भी मूल से समाप्त हो जाता है।

आयुर्वेद के ग्रंथों में ग्रंथों में तुलसी की बड़ी
भारी महिमा का वर्णन है।

इसके पत्ते उबालकर पीने से सामान्य ज्वर,
जुकाम,खांसी तथा मलेरिया में तत्काल राहत
मिलती है।

तुलसी के पत्तों में संक्रामक रोगों को रोकने
की अद्भुत शक्ति है।

सात्विक भोजन पर मात्र तुलसी के पत्ते
को रख देने भर से भोजन के दूषित होने
का काल बढ़ जाता है।

जल में तुलसी के पत्ते डालने से उसमें लम्बे
समय तक कीड़े नहीं पड़ते।

तुलसी की मंजरियों में एक विशेष सुगंध
होती है जिसके कारण घर में विषधर सर्प
प्रवेश नहीं करते।

यदि रजस्वला स्त्री इस पौधे के पास से
निकल जाये तो यह तुरंत म्लान हो जाता है।

अतः रजस्वला स्त्रियों को तुलसी के निकट
नहीं जाना चाहिए।

तुलसी के पौधे की सुगंध जहाँ तक जाती
है वहाँ दिशाओं व विदिशाओं को पवित्र
करता है।

उदभिज,श्वेदज,अंड तथा जरायु चारों प्रकार
के प्राणियों को प्राणवान करती हैं अतःअपने
घर पर तुलसी का पौधा अवश्य लगाएं तथा
उसकी नियमित पूजा अर्चना भी करें।

आपके घर के समस्त रोग दोष समाप्त होंगे।

पौराणिक ग्रंथों में तुलसी का बहुत महत्व
माना गया है।
जहां तुलसी का प्रतिदिन दर्शन करना पाप
नाशक समझा जाता है,वहीं तुलसी पूजन
करना मोक्षदायक माना गया है।

हिन्दू धर्म में देव पूजा और श्राद्ध कर्म में
तुलसी आवश्यक मानी गई है।

शास्त्रों में तुलसी को माता गायत्री का
स्वरूप भी माना गया है।

गायत्री स्वरूप का ध्यान कर तुलसी पूजा
मन,घर-परिवार से कलह व दु:खों का अंत
कर खुशहाली लाने वाली मानी गई है।

इसके लिए तुलसी गायत्री मंत्र का पाठ
मनोरथ व कार्य सिद्धि में चमत्कारिक भी
माना जाता है।

तुलसी गायत्री मंत्र व पूजा की आसान
विधि -

- सुबह स्नान के बाद घर के आंगन या
देवालय में लगे तुलसी के पौधे को गंध,
फूल,लाल वस्त्र अर्पित कर पूजा करें।
फल का भोग लगाएं।

धूप व दीप जलाकर उसके नजदीक
बैठकर तुलसी की ही माला से तुलसी
गायत्री मंत्र का श्रद्धा से सुख की कामना
से कम से कम 108 बार स्मरण करें।

अंत में तुलसी की पूजा करें -


वास्तव में अब देश को मोदी और डोभाल की जरूरत नहीं रही। सोशल मीडिया पर ही कई धुरंधर हैं, जो युद्ध नीति, कूटनीति, राजनीति, राष्ट्रनीति, सैन्य संचालन आदि आदि सभी मामलों के जानकार, अनुभवी और विशेषज्ञ हैं।

ये वही लोग हैं जो लाहौर में एक हमला होने पर पाकिस्तान से सहानुभूति जताने के लिए अपना प्रोफ़ाइल फोटो काला कर रहे थे, और फिर बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद पाकिस्तान के उकसाने पर भारतीय सेना के समर्थन में भी प्रोफ़ाइल फोटो बदल रहे थे। ये वही लोग हैं, जो आज पकिस्तान को गालियां देते हैं और कल भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच के टिकट खरीदने के लिए लाइन में खड़े रहते हैं या सोशल मीडिया पर लाइव स्कोर बताते रहते हैं। ये वही लोग हैं, जो २ रूपये बचाने के लिए चीनी सामान खरीदते हैं, लेकिन सरकार को सिखाते हैं कि चीन भारत के बाज़ार को निगल रहा है। ये वही लोग हैं, जो सरदेसाई और बरखा को रोज़ सुबह गालियां देते हैं, लेकिन रोज़ शाम को उन्हीं के चैनल देखकर उनकी टीआरपी भी बढ़ाते हैं। ये वही लोग हैं, जो अंडरवर्ल्ड के पैसों से बनी फ़िल्में देखने के लिए हर वीकेंड पर मल्टीप्लेक्स के बाहर कतार लगाते हैं और सोशल मीडिया पर सरकार से पूछते हैं कि सरकार दाऊद को खत्म क्यों नहीं कर रही है। ये वही लोग हैं जो किंगफिशर की बीयर खूब शौक से खरीदकर पीते हैं और फिर ये सवाल भी पूछते हैं कि सरकार माल्या को भारत कब लाएगी। ये वही लोग हैं, जो एक दिन गृहमंत्री को कोसते हैं, फिर अगले दिन पैलेट गन चलाने के लिए तारीफ़ भी करते हैं। और ये वही लोग हैं, जो दिन-रात मीडिया चैनलों की निंदा करते हैं, लेकिन उन्हीं चैनलों द्वारा सेट किए जाने वाले एजेंडा का भी रोज शिकार बनते हैं।

अपनी सुख-सुविधाओं में एक कतरा भी कटौती नहीं करना चाहते, ५० पैसे टैक्स बढ़ जाए तो छाती पीटने लगते हैं और ऐसे लोग आज युद्ध की भाषा बोल रहे हैं! पहले अपने कम्फर्ट ज़ोन से तो बाहर निकलिए, उसके बाद युद्ध के उपदेश दीजिए। खुद को राष्ट्रवादी बताने वाले लोग सबसे ज्यादा कन्फ्यूज दिखते हैं। मैंने वामपंथियों को कभी अपनी विचारधारा और एजेंडा के बारे में कन्फ्यूज नहीं देखा, मैंने भारत-विरोधियों को कभी अपनी विचारधारा और एजेंडा के बारे में कन्फ्यूज नहीं देखा, लेकिन राष्ट्रवादी टोली मुझे वैचारिक धरातल पर सबसे ज्यादा कन्फ्यूज दिखती है क्योंकि बुद्धि और विवेक को परे रखकर हर बात में भावनाओं के अनुसार बहते रहते हैं। एक दिन का उफान होता है, दूसरे दिन सब भूल जाते हैं।

मेरा सुझाव है कि इस कन्फ्यूजन से बाहर निकलिए। मुझे नहीं पता कितने लोग मीडिया चैनलों और प्रचलित अख़बारों की खबरों के अलावा कुछ पढ़ते हैं। मुझे नहीं पता सोशल मीडिया पर भावनाओं का उबाल सिर्फ एक-दूसरे की पोस्ट पढ़कर ही उफनता है या उसके पीछे कोई ठोस अध्ययन, संबंधित मामलों की समझ आदि भी है या नहीं। मुझे नहीं पता मीडिया में शोर सुनकर यहां चिल्ला रहे कितने लोगों को याद है कि कुछ ही दिनों पहले वायुसेना का जो विमान अंडमान जाते समय लापता हो गया, उसमें कितने सैनिक थे? मैंने संकेत दे दिया है, बाकी आप समझदार हैं।

जब कोई हम पर हमला करने आता है, तो बेशक पहला समझदारी का काम उस पर जवाबी हमला करना ही होता है। भारतीय सेना ने वो किया है, तभी चारों आतंकियों को मार गिराया गया। लेकिन जब सामने वाला हमला करके जा चुका है, और अब आपको जवाब देना है, तो वह ठंडे दिमाग से, सोच-समझकर और योजना बनाकर ही दिया जाना चाहिए, न कि उकसावे में आकर। पाकिस्तान ने हमला करके आपको उकसा दिया है, इसलिए ये ज़रूरी नहीं कि भारतीय सेना तुरन्त अपने टैंक और मिसाइलें लेकर पाकिस्तान में घुस जाए। मुझे कोई शक नहीं कि जिस दिन भारतीय सेना उचित समझेगी, उस दिन ये काम भी अवश्य हो जाएगा, लेकिन अभी नहीं हो रहा है, इससे स्पष्ट है कि सेना के पास शायद उससे बेहतर कोई तरीका मौजूद है।

कुछ लोगों को लगता है कि भारत सरकार सो रही है या सिर्फ कड़ी निंदा के बयान दे रही है। गृहमंत्री ने अपनी रूस और अमेरिका की यात्रा कल रद्द कर दी। क्या आपको लगता है कि सरकार ने सिर्फ कड़ी निंदा वाले बयान देने के लिए यात्रा रद्द की है? अजीत डोभाल ने अपनी पूरी ज़िंदगी ऐसे ही उच्च-स्तरीय मिशन और सीक्रेट ऑपरेशन पूरे करने में बिताई है। जो आदमी जासूस बनकर ६ साल लाहौर में अंडरकवर एजेंट रहा है, क्या आपको लगता है कि इस मामले की समझ आप में उससे ज्यादा है? ये कॉमन सेन्स की बात है कि उच्च-स्तर पर प्लानिंग हो रही होगी, हर विकल्प पर विचार हो रहा होगा, और हर मोर्चे पर हमले की रणनीति बन रही होगी। ये भी कॉमन सेन्स की बात है कि इसकी जानकारी न किसी सरकारी बयान में दी जाएगी, न सोशल मीडिया पर पोस्ट और ट्वीट में। अपनी भावनाओं को अपने विवेक और बुद्धि पर हावी मत होने दीजिए। ये जरूरी नहीं है कि कश्मीर के जवाब में हमला कश्मीर वाली सीमा से ही हो। हमला अफगानिस्तान की तरफ से भी हो सकता है, हमला बलूचिस्तान से भी हो सकता है, हमला चीन के इकोनॉमिक कॉरिडोर की तरफ भी हो सकता है। इसलिए जिस मामले की समझ जिन लोगों को हमसे ज्यादा है, उनको उनका काम उनके ढंग से करने दीजिए। उनको पता है क्या परिणाम चाहिए और वो कैसे मिलेगा। उनको ये भी पता है कि आप सिर्फ एक दिन चिल्लाएंगे और दूसरे दिन भूल जाएंगे क्योंकि सबसे सरल काम यही है।

जो लोग टीवी पर क्रिकेट देखते समय घर बैठे-बैठे चिल्लाते रहते हैं कि कप्तान को कौन-सा फील्डर कहां खड़ा करवाना चाहिए और किस बॉलर को पहला ओवर देना चाहिए, वो जरा ये समझें कि कप्तान में क्रिकेट की समझ आपसे ज्यादा है और मैदान की परिस्थिति को भी वह आपसे बेहतर समझता है क्योंकि वह मैदान में खड़ा है और आप घर में बैठे हैं। अगर उसको कप्तान मानते हैं, तो उसको निर्णय लेने दीजिए और उसके निर्णय पर भरोसा कीजिए। आपसे ज्यादा कन्फ्यूज लोग दुनिया में कोई दूसरे नहीं हैं क्योंकि आप किसी विषय में पूरी जानकारी नहीं लेना चाहते और न  किसी बात को शुरू करने पर आखिरी तक ले जाना चाहते हैं। आप में और मीडिया चैनलों में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है, दोनों को ही अपना समय काटने के लिए रोज एक नया मुद्दा चाहिए होता है। बेहतर है कि दूसरों को आईना दिखाने की कोशिश करने वाले एक बार खुद भी आईना देखें।

जितने लोग जापान और वियतनाम और इज़राइल जैसे देशों के उदाहरण देते रहते हैं, वे उपदेशक का चोला उतारें और जरा यह भी देखें कि वहां की सफलताओं में जनता की कितनी बड़ी भूमिका और योगदान रहा है। फिर भारत में खुद से उसकी तुलना करें। कोई देश सिर्फ सरकार के भरोसे इजरायल और जापान नहीं बन जाता, वह तब इजराइल और जापान बनता है, जब लोग अपने देश के लिए त्याग करने को तैयार होते हैं, जब लोग अपने देश के लिए कष्ट उठाने को तैयार होते हैं, जब लोग अपने कम्फर्ट ज़ोन से बाहर निकलकर देश के लिए कुछ करते हैं। पहले वह काम कीजिए और भारत में वैसा माहौल बनाने में कुछ योगदान दीजिए, उसके बाद ही समस्या जड़ से मिटेगी, वरना पाकिस्तान को आप चाहे पूरा साफ़ कर दीजिए, पर समस्या कहीं और से सिर उठाती रहेगी क्योंकि समस्या की जड़ बाहर नहीं है, भीतर ही है।

मेरी बातें अक्सर ही कड़वी लगती हैं क्योंकि मैं लहर देखकर नहीं बहता और न किसी को खुश करने के लिए लिखता हूं। मुझे अफ़सोस तब नहीं होता, जब लोग मेरी बातों से असहमत होते हैं, बल्कि अफ़सोस तब होता है, जब आगे चलकर मेरी बातें और चेतावनियां सही साबित होती हैं। मुझे इस बात में कोई संदेह नहीं कि भारत की सबसे बड़ी कमजोरी राष्ट्रवादियों का कन्फ्यूजन और अस्थिरता ही है। जिस दिन यह ठीक हो जाएगा, उस दिन सारे समीकरण बदल जाएंगे। सादर!
जय हिन्द !!🇮🇳

Wednesday, September 14, 2016

Mrutyu Baad Angdaan

मित्रो आज टी वी समाचारो मे देखा के पांचवी बार ग्रीन कोरीडोर बनाकर ब्रेन डेड व्यक्ति का हृदय सफलता पूर्वक दुसरे शहर भेजा गया प्रत्यारोपण के लिए, प्रत्यारोपण भी सफल रहा।

क्यो न हम भी सपथ ले की "मृत्यु बाद मेरा हृदय, कीडनी, लीवर, आँखे वगैरह अंग को योग्य समय पर निकाल कर किसी जरूरतमंद के शरीर मे प्रत्यारोपित किया जाये।

अंदाजा करो कितने लोगो की जान बच जायेगी इससे, कितने परिवार उजडने से बच जायेगे।
वैसे भी मृत्यु के बाद अपना शरीर हिन्दु होगे तो अग्नि के समर्पित किया जायेगा, क्रिस्टियन और मूसलमान होगा तो दफन होगा। इससे वे सारे अंग या तो जलकर राख हो जायेगे या मिट्टी मे गल जायेगे।

आओ मेरे मित्रो आज के बाद हम प्रण करे मृतयु बाद अपने अंगो का दान कर किसीको नवजीवन देगे।

मेरी इस अपील से सहमत हो तो अपने परिवार, मित्रो, समाज, गाव, शहर मे इस बात का प्रचार करे और लोगो को ऐसा करने के लिए जागृत करे। दमण मे भी लोग इस बात के तैयार हो यह आशा।

इस संदेश को अधिक से अधिक लोगो तक पहोचे इस शेयर जरूर करे।

Mrutyu Baad Angdaan

मित्रो आज टी वी समाचारो मे देखा के पांचवी बार ग्रीन कोरीडोर बनाकर ब्रेन डेड व्यक्ति का हृदय सफलता पूर्वक दुसरे शहर भेजा गया प्रत्यारोपण के लिए, प्रत्यारोपण भी सफल रहा।

क्यो न हम भी सपथ ले की "मृत्यु बाद मेरा हृदय, कीडनी, लीवर, आँखे वगैरह अंग को योग्य समय पर निकाल कर किसी जरूरतमंद के शरीर मे प्रत्यारोपित किया जाये।

अंदाजा करो कितने लोगो की जान बच जायेगी इससे, कितने परिवार उजडने से बच जायेगे।
वैसे भी मृत्यु के बाद अपना शरीर हिन्दु होगे तो अग्नि के समर्पित किया जायेगा, क्रिस्टियन और मूसलमान होगा तो दफन होगा। इससे वे सारे अंग या तो जलकर राख हो जायेगे या मिट्टी मे गल जायेगे।

आओ मेरे मित्रो आज के बाद हम प्रण करे मृतयु बाद अपने अंगो का दान कर किसीको नवजीवन देगे।

मेरी इस अपील से सहमत हो तो अपने परिवार, मित्रो, समाज, गाव, शहर मे इस बात का प्रचार करे और लोगो को ऐसा करने के लिए जागृत करे। दमण मे भी लोग इस बात के तैयार हो यह आशा।

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