जो मुक्ति देता है उसने राजा बलि को बाँध दिया !
जो सबका पालन करता है और सबकी इच्छा पूर्ति करता है , वह आज भीख माँगने राजा बलि के दरबार में आ गया !
शिष्य गुरु की आज्ञा का पालन करता है फिर भी राक्षसराज प्रहलाद के पोते और तीनो लोकों को जीत चुके महाबली ने अपने गुरु शुक्राचार्य की बात नहीं मानी और श्रीविष्णु के कहे में आ गया;
क्योंकि गुरु तो जहाज बन भवसागर पार करा देता है लेकिन भगवान् के पास उतर कर खुद जाना पड़ता है !!
जय जय भक्त और भगवान जिन्होंने धर्म को ऐसी उंचाइयां दी;
धन्य है सनातन संस्कृति!!
राजा बलि से ही बलिदान शब्द प्रचलित हुआ है
बलि का दान = बलिदान
बलि का दान ऐसा समास करना योग्य नहीं रहेगा पर बलि जैसा दान ऐसा समस् ज्यादा उचित रहेगा , वर्ना ना समज लोग भटक सक्ते है और - बलि का अर्थ भी समजने योग्य है . बलि - जो बलवान है - फिर प्रश्न होता है कोण बलवान है ? जिनके गुरु शुक्र (शुक्राचार्य ) है वे बलवान है . शुक्र वृद्धि से हि बल वृद्धि होती है .
बलि ने खुद को ही दान में दे दिया था तीसरे कदम पर वामन के सामने झुककर , समर्पण कर दिया ,शरण में चले गए एक ऊँचे आदर्श के लिए अपना बलिदान कर दिया !
समस्त जगत ले स्वामी जगदीश को सारी पृथ्वी दान में देदी - फिर उसी जगदीश को द्वारपाल बनादिया और जिन लक्ष्मी माता से सारा जगत कुछ ना कुछ मांगते रहता है उसी राजराजेश्वरी महालक्ष्मी को बहन बनाया और रक्षाबंधन के दिन जगदीश को दान में दीया
--- (श्री सुशिल झुनझुनवाला एवं श्री कर्दम ऋषि के बिच भक्ति शास्त्रं ग्रुप में हुई चर्चा के अधर पर)
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