10.કલ્કી - હજી આવવાનો બાકી છે, કલીયુગા નાં અંતે આવશે
दशावतारों के बारे में महाबलीपुरम् शंकरनारायण मंदिर में एक शिलालेख है जिसपर लिखा है-
मत्स्यः कूर्मो वराहश्च नृसिंहोअथ वामनः | रामो रामश्च रामश्च कृष्णो कल्कि च ते दशः || अर्थ तो सरल है ही पर इसकी व्याख्या तो बहुत ही वैज्ञानिक और सरल है |
भगवान विष्णु के दशावतार ये हैं- मछली, कछुआ, वराह, नरसिंह, वामन (बौना), परशुराम, राम, बलराम, कृष्ण और कल्कि |
अब व्याख्या देखिये-
मनुष्य का विकास दो चरणों में हुआ है | पहला है भौतिक विकास: १. मछली- जल में ही रहने वाला २. कछुआ- जल के साथ भूमि पर भी रह पाने का सामर्थ्य ३. वराह- भूमि पर रहने वाला पशु ४. नरसिंह- पशु का नर रूप में विकसित रूप ५. वामन- मनुष्य का रूप पर पूर्ण विकसित नहीं (ऊंचाई अभी सामान्य से कम है) ६. परशुराम-पूर्ण विकसित मानव (परशुधारी और भयंकर क्रोधी)
दूसरे चरण में सांस्कृतिक विकास हुआ: ७. श्रीराम- पूर्ण विकसित मानव धनुर्धारी किन्तु स्वाभाव से शान्त ८. बलराम- पूर्ण विकसित मानव और विकास (कृषि) का प्रतीक 'हल'धारी ९. कृष्ण- पूर्ण विकसित मानव, कला का प्रतीक-वंशीधारी १०. कल्कि- अभी आना बाकि है, कलियुग के अंत में आयेंगे |
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