ॐ
23/6/2018
नमस्कार
कल मध्यरात्री से जो बरसात हो रही है उससे आज कह सकते है के बरसात का मौसम शुरु हो गया।
आजतक अनेकबार लिख चुका हूँ के पानी की किल्लतसे बचना हो भले ही वो पीने के लिए या सामान्य उपयोग के लिए हो।
तो अपने घरमे आसपास, फ्लेट में रहते हो तो अपार्टमेंट, साथ ही महोल्ले या सोसायटी में आप व्यक्तिगत या सब मिलकर बरसात का अधिकांश पानी बचा सको ऐसी व्यवस्था नही करी है तो कृपा करके करवा लीजिए।
यह आपके हित के लिए है, इसका एक उदाहरण अमदावाद की कुछ सोसायटी है जहा आज से दो या तीन वर्ष पहले सोसायटी/अपार्टमेंट के सभी परिवार मिलकर सोसायटी के हर एक अपार्टमेंट मे एक सामूहिक वोटर हारवेस्टींग (जल संचयन) सिस्टम बनमाली। जिससे अब मौसम की कुल बरसात का सर्वाधिक पानी भूगर्भ में संचयित (इकट्ठा) होता है जिससे भूगर्भ जलस्तर उपर आ गया और आज यह स्थिति है के पूरे अमदावाद मे जब पानी की क़िल्लत होती है तब ये सोसायटी वाले बीना किसी तकलीफ के पूरे सालभर आलम से बीना तकलीफ के पानी का उपयोग करते है।
एकबार थोडा तकलीफ होगी लेकिन फिर हमेशा के लिए आराम हो जायेगा। यह पद्धति मे कोई बडी मेन्टेनन्स भी नही आती।
आशा है जिसने नही करवा है जल्दी से करवा ले। व्यक्तिगत करने मे भी कोई इतना खर्च नहीं आता है, यह करने से हम अपने लिए तो सुविधा करते है साथ ही भूगर्भ जलस्तर बढने से हम प्रकृति का संवर्धन तो करते ही है।
आओ कहे-
*जल ही कृष्ण*
--रा. म. पं
23/6/2018
नमस्कार
कल मध्यरात्री से जो बरसात हो रही है उससे आज कह सकते है के बरसात का मौसम शुरु हो गया।
आजतक अनेकबार लिख चुका हूँ के पानी की किल्लतसे बचना हो भले ही वो पीने के लिए या सामान्य उपयोग के लिए हो।
तो अपने घरमे आसपास, फ्लेट में रहते हो तो अपार्टमेंट, साथ ही महोल्ले या सोसायटी में आप व्यक्तिगत या सब मिलकर बरसात का अधिकांश पानी बचा सको ऐसी व्यवस्था नही करी है तो कृपा करके करवा लीजिए।
यह आपके हित के लिए है, इसका एक उदाहरण अमदावाद की कुछ सोसायटी है जहा आज से दो या तीन वर्ष पहले सोसायटी/अपार्टमेंट के सभी परिवार मिलकर सोसायटी के हर एक अपार्टमेंट मे एक सामूहिक वोटर हारवेस्टींग (जल संचयन) सिस्टम बनमाली। जिससे अब मौसम की कुल बरसात का सर्वाधिक पानी भूगर्भ में संचयित (इकट्ठा) होता है जिससे भूगर्भ जलस्तर उपर आ गया और आज यह स्थिति है के पूरे अमदावाद मे जब पानी की क़िल्लत होती है तब ये सोसायटी वाले बीना किसी तकलीफ के पूरे सालभर आलम से बीना तकलीफ के पानी का उपयोग करते है।
एकबार थोडा तकलीफ होगी लेकिन फिर हमेशा के लिए आराम हो जायेगा। यह पद्धति मे कोई बडी मेन्टेनन्स भी नही आती।
आशा है जिसने नही करवा है जल्दी से करवा ले। व्यक्तिगत करने मे भी कोई इतना खर्च नहीं आता है, यह करने से हम अपने लिए तो सुविधा करते है साथ ही भूगर्भ जलस्तर बढने से हम प्रकृति का संवर्धन तो करते ही है।
आओ कहे-
*जल ही कृष्ण*
--रा. म. पं
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