फेसबुक पर एक दिलचस्प पोस्ट पढी भारत के एक राज्य मे किसीने एक तर्क दिया है के भारत की सभी सरकारी प्राथमिक, माध्यमिक, उचत्तर माध्यमिक शाला के शिक्षण का स्तर उपर विना है तो केन्द्र सरकार की तरफ से एक अध्यादेश जारी करना होगा के अगले वर्ष शुरू होनेवाले शैक्षणिक सत्र से सभी उच्च पद पर आसीन अधिकारी एवं अन्य वर्ग के अधिकारी को अपने बच्चे/बच्चो को पढाने के लिए सरकारी स्कूल मे आवश्यक रूप से दाखिले दिलाने होगे।
और बस फिर बाकी का काम वो अध्यादेश की असर से हो जायेगा। सभी स्कूल के परिणाम सुधर जायेगे, स्कूल का माहोल बदलेगा, स्वच्छता मे सुधार आ जायेगा। सभी स्कूल मे अधिकारीओ के औचक दौरे बढ जायेगे जिससे शिक्षको की पगार, शिक्षण सब नियमित और चुस्त हो जायेगा। इसका सिधा असर शिक्षण की गुणवत्ता पर पडेगा।
अगर ऐसा होता है तब सही अर्थ मे "सबका साथ सबका विकास होगा"
मेरा तो द्रव रूप से मानना है कि यह होना चाहिए। आपका क्या मानना है ?
हो सकता नही हो सकता बाद की बात है पर आप मन से क्या चाहते हो ऐसा होना चाहिए? "हा" या "ना" ........
और बस फिर बाकी का काम वो अध्यादेश की असर से हो जायेगा। सभी स्कूल के परिणाम सुधर जायेगे, स्कूल का माहोल बदलेगा, स्वच्छता मे सुधार आ जायेगा। सभी स्कूल मे अधिकारीओ के औचक दौरे बढ जायेगे जिससे शिक्षको की पगार, शिक्षण सब नियमित और चुस्त हो जायेगा। इसका सिधा असर शिक्षण की गुणवत्ता पर पडेगा।
अगर ऐसा होता है तब सही अर्थ मे "सबका साथ सबका विकास होगा"
मेरा तो द्रव रूप से मानना है कि यह होना चाहिए। आपका क्या मानना है ?
हो सकता नही हो सकता बाद की बात है पर आप मन से क्या चाहते हो ऐसा होना चाहिए? "हा" या "ना" ........
No comments:
Post a Comment