रहस्यमयी हिमालय 2
वह घंटों वहीँ बैठा रहा | उस योगी के दिव्य स्वरूप को निहारता रहा | कुछ देर बाद योगी ने आँखे खोली | योगी के आँख खुलते हीं वह कुछ कहना चाहा किन्तु उस दिव्य संत ने हाथों के इशारे से उसे चुप रहने को कहा | योगी ने पुन : आँखें बंद की और कुछ क्षणों बाद फिर से आँखें खोली | दिव्य संत ने उस व्यक्ति से पूछा – “ राह भटक कर अपने दल से बिछुड़ गये हो |”
“ जी ” उस व्यक्ति ने कहा
“ तुम राह नहीं भटके हो बल्कि किसी के अदृश्य निर्देशन के द्वारा मेरे पास पहुंचे हो |” योगी ने कहा ( सिद्ध संत पहले आपकी भाषा में बातें करेंगे फिर बाद में अपनी )
” जी मैं कुछ समझा नहीं |” उस व्यक्ति ने कहा
“ समय आने पर सारी बातें तेरे समझ में आ जायेगी |” योगी बोल पड़े
“ अच्छा ऐसा कर बगल में गंगा बह रही है जा स्नान कर के आ जा | और वहां ( ऊँगली से ईशारा करते हुए ) कुछ फल रखे हुए हैं स्नान के बाद आ कर खा लेना |” ऐसा कह कर योगी क्षण में ध्यानस्थ हो गये |
वह व्यक्ति बाहर निकला बाहर मनोरम दृश्य था | कल कल करती हुई भगीरथी न जाने कितने युगों से बह रही है इस धरा पर | मैदानी क्षेत्रो में लोग इसी माँ गंगा के शरण में तो आते हैं अपने पाप धोने | कितने पावन शहर बसे हुए हैं इस ममतामयी के तट पर अपने भारत में ऋषिकेश , हरिद्वार , बनारस सभी | और ये हिमालय बाबा न जाने कितने साधकों को अपने गोद में आश्रय दिया है इन्होने | अपनी गोद में न जाने कितने कीमती जड़ी बूटियों को छिपा कर रखें है इस पवित्र हिमालय ने जो न जाने कितने असाध्य रोगों को ठीक कर सकता है | कुछ ऐसा हीं विचार उसके मन में चल रहा था |
मन में विचार करते हुए वह गंगा के तट पर पहुंचा | उसने अपने हाथों से गंगा जल को स्पर्श किया बिलकुल हिम (बर्फ ) के मानिंद ठंडा शीतल ! उसने अपने सारे वस्त्र उतारे और स्नान किया | स्नान कर के वह बाहर निकला | तभी उसने हांथों में नए वस्त्र लिए एक व्यक्ति को वह वहां खड़ा देखा |
वस्त्रों को उस व्यक्ति को देते हुए उस आदमी ने कहा “ उस गुफा वाले बाबा ने दियें हैं आपके लिए आप इसे पहन लें |”
वह व्यक्ति थोडा आश्चर्यचकित होते हुए अपने वस्त्र बदले और गुफा की ओर प्रस्थान किया |
गुफा के अंदर प्रवेश कर के उसने देखा वह आदमी तो वहां था हीं नहीं जिसने उसने उसे वस्त्र दिए थे | योगी बाबा अभी भी ध्यानस्थ थे |
योगी बाबा ने जिस स्थान पर फलों के लिए बताया था वहां से उसने कुछ फल सेब , नाशपाती और कुछ सूखे मेवे काजू , किशमिश , छुहाड़ा आदि ले कर वह खाने लगा | उसकी दृष्टि अभी भी उस रहस्यमयी योगी के चेहरे को अपलक निहार रही थी |
जारी....साभार....🕉🙏🏼💯
वह घंटों वहीँ बैठा रहा | उस योगी के दिव्य स्वरूप को निहारता रहा | कुछ देर बाद योगी ने आँखे खोली | योगी के आँख खुलते हीं वह कुछ कहना चाहा किन्तु उस दिव्य संत ने हाथों के इशारे से उसे चुप रहने को कहा | योगी ने पुन : आँखें बंद की और कुछ क्षणों बाद फिर से आँखें खोली | दिव्य संत ने उस व्यक्ति से पूछा – “ राह भटक कर अपने दल से बिछुड़ गये हो |”
“ जी ” उस व्यक्ति ने कहा
“ तुम राह नहीं भटके हो बल्कि किसी के अदृश्य निर्देशन के द्वारा मेरे पास पहुंचे हो |” योगी ने कहा ( सिद्ध संत पहले आपकी भाषा में बातें करेंगे फिर बाद में अपनी )
” जी मैं कुछ समझा नहीं |” उस व्यक्ति ने कहा
“ समय आने पर सारी बातें तेरे समझ में आ जायेगी |” योगी बोल पड़े
“ अच्छा ऐसा कर बगल में गंगा बह रही है जा स्नान कर के आ जा | और वहां ( ऊँगली से ईशारा करते हुए ) कुछ फल रखे हुए हैं स्नान के बाद आ कर खा लेना |” ऐसा कह कर योगी क्षण में ध्यानस्थ हो गये |
वह व्यक्ति बाहर निकला बाहर मनोरम दृश्य था | कल कल करती हुई भगीरथी न जाने कितने युगों से बह रही है इस धरा पर | मैदानी क्षेत्रो में लोग इसी माँ गंगा के शरण में तो आते हैं अपने पाप धोने | कितने पावन शहर बसे हुए हैं इस ममतामयी के तट पर अपने भारत में ऋषिकेश , हरिद्वार , बनारस सभी | और ये हिमालय बाबा न जाने कितने साधकों को अपने गोद में आश्रय दिया है इन्होने | अपनी गोद में न जाने कितने कीमती जड़ी बूटियों को छिपा कर रखें है इस पवित्र हिमालय ने जो न जाने कितने असाध्य रोगों को ठीक कर सकता है | कुछ ऐसा हीं विचार उसके मन में चल रहा था |
मन में विचार करते हुए वह गंगा के तट पर पहुंचा | उसने अपने हाथों से गंगा जल को स्पर्श किया बिलकुल हिम (बर्फ ) के मानिंद ठंडा शीतल ! उसने अपने सारे वस्त्र उतारे और स्नान किया | स्नान कर के वह बाहर निकला | तभी उसने हांथों में नए वस्त्र लिए एक व्यक्ति को वह वहां खड़ा देखा |
वस्त्रों को उस व्यक्ति को देते हुए उस आदमी ने कहा “ उस गुफा वाले बाबा ने दियें हैं आपके लिए आप इसे पहन लें |”
वह व्यक्ति थोडा आश्चर्यचकित होते हुए अपने वस्त्र बदले और गुफा की ओर प्रस्थान किया |
गुफा के अंदर प्रवेश कर के उसने देखा वह आदमी तो वहां था हीं नहीं जिसने उसने उसे वस्त्र दिए थे | योगी बाबा अभी भी ध्यानस्थ थे |
योगी बाबा ने जिस स्थान पर फलों के लिए बताया था वहां से उसने कुछ फल सेब , नाशपाती और कुछ सूखे मेवे काजू , किशमिश , छुहाड़ा आदि ले कर वह खाने लगा | उसकी दृष्टि अभी भी उस रहस्यमयी योगी के चेहरे को अपलक निहार रही थी |
जारी....साभार....🕉🙏🏼💯
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