Saturday, March 21, 2015

क्या मनुस्मृति में वाकई स्त्री के चरित्र पर आघात किया गया, जानिए सच

हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार दुनिया में आने वाला सबसे पहला मनुष्य ‘मनु’ था। यह मनुष्य सृष्टि निर्माता ब्रह्माजी के मनस संकल्प से उत्पन्न हुआ था। इसी मनु ने मनुष्यों की सामाजिक-धार्मिक विधि संहिता की रचना की, जिसे ‘मनुस्मृति’ नाम से जाना जाता है।
मनुस्मृति को हिन्दू शास्त्रों में सबसे महत्त्वपूर्ण ग्रंथ माना गया है। यह ग्रंथ मानव, धर्म तथा शास्त्रों का मिश्रण है। इस ग्रंथ में दिए गए तमाम उपदेश मनु द्वारा ही रचे गए हैं, जिन्हें लिखने के बाद मनु ने इस महान ग्रंथ को ऋषियों को सौंप दिया। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार मनुस्मृति भगवान ब्रह्मा की वाणी है।
जिस तरह से दुनिया में पहला पुरुष आया था उसी तरह से पहली स्त्री का जन्म भी ब्रह्मा जी की काया से ही हुआ था। यह स्त्री जिसे शतरूपा के नाम से जाना जाता है, इसने भी ब्रह्मा जी की काया से पूर्ण विकसित रूप में ही जन्म लिया था। स्त्री के आगमन के अलावा मनुस्मृति में स्त्री के चरित्र, उसके हाव-भाव तथा तमाम वह बातें जो एक स्त्री को परिभाषित करती हैं, उन पर कुछ महत्वपूर्ण बातें की गई हैं।

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