Wednesday, September 21, 2016

तुलसी के पौधे से आसन्न विपत्ति का
भान होता है !!

क्या आपने कभी इस बात पर ध्यान दिया
कि आपके घर,परिवार या आप पर कोई
विपत्ति आने वाली होती है तो उसका असर
सबसे पहले आपके घर में स्थित तुलसी के
पौधे पर होता है।

आप उस पौधे का कितना भी ध्यान रखें,
धीरे-धीरे वह पौधा सूखने लगता है।

तुलसी का पौधा ऐसा है जो आपको पहले
ही बता देगा कि आप पर या आपके घर
परिवार को किसी मुसीबत का सामना
करना पड़ सकता है।

पुराणों और शास्त्रों के अनुसार माना जाए
तो ऐसा इसलिए होता है कि जिस घर पर
मुसीबत आने वाली होती है,
उस घर से सबसे पहले लक्ष्मी यानी तुलसी
चली जाती है।

क्योंकि दरिद्रता,अशांति या क्लेश जहां
होता है वहां लक्ष्मी जी का निवास नही
होता है।

अगर ज्योतिष की माने तो ऐसा बुध के
कारण होता है।
बुध का प्रभाव हरे रंग पर होता है और
बुध को पेड़ पौधों का कारक ग्रह माना
जाता है।

ज्योतिष में लाल किताब के अनुसार बुध
ऐसा ग्रह है जो अन्य ग्रहों के अच्छे और
बुरे प्रभाव जातक तक पहुंचाता है।

अगर कोई ग्रह अशुभ फल देगा तो उसका
अशुभ प्रभाव बुध के कारक वस्तुओं पर
भी होता है।

अगर कोई ग्रह शुभ फल देता है तो उसके
शुभ प्रभाव से तुलसी का पौधा उत्तरोत्तर
बढ़ता रहता है।
बुध के प्रभाव से पौधे में फल फूल लगने
लगते हैं।

प्रतिदिन चार पत्तियां तुलसी की सुबह
खाली पेट ग्रहण करने से मधुमेह,रक्त
विकार,वात,पित्त आदि दोष दूर होने
लगते है।

मां तुलसी के समीप आसन लगा कर यदि
कुछ समय हेतु प्रतिदिन बैठा जाये तो श्वास
के रोग अस्थमा आदि से जल्दी छुटकारा
मिलता है।

घर में तुलसी के पौधे की उपस्थिति एक
वैद्य समान तो है ही यह वास्तु के दोष भी
दूर करने में सक्षम है हमारें शास्त्र इस के
गुणों से भरे पड़े है।

जन्म से लेकर मृत्यु तक काम आती है
यह तुलसी....
कभी सोचा है कि मामूली सी दिखने वाली
यह तुलसी हमारे घर या भवन के समस्त
दोष को दूर कर हमारे जीवन को निरोग
एवम सुखमय बनाने में सक्षम है माता के
समान सुख प्रदान करने वाली तुलसी का
वास्तु शास्त्र में विशेष स्थान है।

हम ऐसे समाज में निवास करते है कि
सस्ती वस्तुएं एवम सुलभ सामग्री को
शान के विपरीत समझने लगे है।

महंगी चीजों को हम अपनी प्रतिष्ठा
मानते है।
कुछ भी हो तुलसी का स्थान हमारे
शास्त्रों में पूज्यनीय देवी के रूप में है।

तुलसी को मां शब्द से अलंकृत कर हम
नित्य इसकी पूजा आराधना भी करते है।

इसके गुणों को आधुनिक रसायन शास्त्र
भी मानता है।

इसकी हवा तथा स्पर्श एवम इसका भोग
दीर्घ आयु तथा स्वास्थ्य विशेष रूप से
वातावरण को शुद्ध करने में सक्षम
होता है।

शास्त्रानुसार तुलसी के विभिन्न प्रकार
के पौधे मिलते है उनमें श्रीकृष्ण तुलसी,
लक्ष्मी तुलसी,राम तुलसी,भू तुलसी,नील
तुलसी,श्वेत तुलसी,रक्त तुलसी,वन तुलसी,
ज्ञान तुलसी मुख्य रूप से विद्यमान है।

सबके गुण अलग अलग है शरीर में नाक
कान वायु कफ ज्वर खांसी और दिल की
बिमारियों  परविशेष प्रभाव डालती है।

वास्तु दोष को दूर करने के लिए तुलसी के
पौधे अग्नि कोण अर्थात दक्षिण-पूर्व से
लेकर वायव्य उत्तर-पश्चिम तक के खाली
स्थान में लगा सकते है यदि खाली जमीन
ना हो तो गमलों में भी तुलसी को स्थान
दे कर सम्मानित किया जा सकता है।

तुलसी का गमला रसोई के पास रखने
से पारिवारिक कलह समाप्त होती है।

पूर्व दिशा की खिडकी के पास रखने से
पुत्र यदि जिद्दी हो तो उसका हठ दूर
होता है।

यदि घर की कोई सन्तान अपनी मर्यादा
से बाहर है अर्थात नियंत्रण में नहीं है तो
पूर्व दिशा में रखे।

तुलसी के पौधे में से तीन पत्ते किसी ना
किसी रूप में सन्तान को खिलाने से
सन्तान आज्ञानुसार व्यवहार करने
लगती है।

कन्या के विवाह में विलम्ब हो रहा हो
तो अग्नि कोण में तुलसी के पौधे को
कन्या नित्य जल अर्पण कर एक
प्रदक्षिणा करने से विवाह जल्दी
और अनुकूल स्थान में होता है।
सारी बाधाए दूर होती है।

यदि कारोबार ठीक नहीं चल रहा तो
दक्षिण-पश्चिम में रखे तुलसी के गमले
पर प्रति शुक्रवार को सुबह कच्चा दूध
अर्पण करे व मिठाई का भोग रख कर
किसी सुहागिन स्त्री को मीठी वस्तु देने
से व्यवसाय में सफलता मिलती है।

नौकरी में यदि उच्चाधिकारी की वजह
से परेशानी हो तो ऑफिस में खाली
जमीन या किसी गमले आदि जहाँ
पर भी मिटटी हो वहां पर सोमवार
को तुलसी के सोलह बीज किसी
सफेद कपडे में बाँध कर सुबह
दबा दें।
सम्मान में वृद्धि होगी।

नित्य पंचामृत बना कर यदि घर कि महिला
शालिग्राम जी का अभिषेक करती है तो घर
में वास्तु दोष हो ही नहीं सकता।

अति प्राचीन काल से ही तुलसी पूजन
प्रत्येक सद्गृहस्थ के घर पर होता आया है।

तुलसी पत्र चढाये बिना शालिग्राम पूजन
नहीं होता।

भगवान विष्णु को चढायेप्रसाद,श्राद्धभोजन,
देवप्रसाद,चरणामृत व पंचामृत में तुलसी
पत्रहोना आवश्यक है अन्यथा उसका भोग
देवताओं को लगा नहीं माना जाता।

मरते हुए प्राणी को अंतिम समय में गंगा
जल के साथ तुलसी पत्र देने से अंतिम
श्वास निकलने में अधिक कष्ट नहीं सहन
करना पड़ता।

तुलसी के जैसी धार्मिक एवं औषधीय गुण
किसी अन्य पादप में नहीं पाए जाते हैं।

तुलसी के माध्यम से कैंसर जैसे प्राण घातक
रोग भी मूल से समाप्त हो जाता है।

आयुर्वेद के ग्रंथों में ग्रंथों में तुलसी की बड़ी
भारी महिमा का वर्णन है।

इसके पत्ते उबालकर पीने से सामान्य ज्वर,
जुकाम,खांसी तथा मलेरिया में तत्काल राहत
मिलती है।

तुलसी के पत्तों में संक्रामक रोगों को रोकने
की अद्भुत शक्ति है।

सात्विक भोजन पर मात्र तुलसी के पत्ते
को रख देने भर से भोजन के दूषित होने
का काल बढ़ जाता है।

जल में तुलसी के पत्ते डालने से उसमें लम्बे
समय तक कीड़े नहीं पड़ते।

तुलसी की मंजरियों में एक विशेष सुगंध
होती है जिसके कारण घर में विषधर सर्प
प्रवेश नहीं करते।

यदि रजस्वला स्त्री इस पौधे के पास से
निकल जाये तो यह तुरंत म्लान हो जाता है।

अतः रजस्वला स्त्रियों को तुलसी के निकट
नहीं जाना चाहिए।

तुलसी के पौधे की सुगंध जहाँ तक जाती
है वहाँ दिशाओं व विदिशाओं को पवित्र
करता है।

उदभिज,श्वेदज,अंड तथा जरायु चारों प्रकार
के प्राणियों को प्राणवान करती हैं अतःअपने
घर पर तुलसी का पौधा अवश्य लगाएं तथा
उसकी नियमित पूजा अर्चना भी करें।

आपके घर के समस्त रोग दोष समाप्त होंगे।

पौराणिक ग्रंथों में तुलसी का बहुत महत्व
माना गया है।
जहां तुलसी का प्रतिदिन दर्शन करना पाप
नाशक समझा जाता है,वहीं तुलसी पूजन
करना मोक्षदायक माना गया है।

हिन्दू धर्म में देव पूजा और श्राद्ध कर्म में
तुलसी आवश्यक मानी गई है।

शास्त्रों में तुलसी को माता गायत्री का
स्वरूप भी माना गया है।

गायत्री स्वरूप का ध्यान कर तुलसी पूजा
मन,घर-परिवार से कलह व दु:खों का अंत
कर खुशहाली लाने वाली मानी गई है।

इसके लिए तुलसी गायत्री मंत्र का पाठ
मनोरथ व कार्य सिद्धि में चमत्कारिक भी
माना जाता है।

तुलसी गायत्री मंत्र व पूजा की आसान
विधि -

- सुबह स्नान के बाद घर के आंगन या
देवालय में लगे तुलसी के पौधे को गंध,
फूल,लाल वस्त्र अर्पित कर पूजा करें।
फल का भोग लगाएं।

धूप व दीप जलाकर उसके नजदीक
बैठकर तुलसी की ही माला से तुलसी
गायत्री मंत्र का श्रद्धा से सुख की कामना
से कम से कम 108 बार स्मरण करें।

अंत में तुलसी की पूजा करें -


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