Thursday, August 25, 2016

आज मेरे एक मित्र मिला वो कभी बना हजामत किये नही रहता है पर आज जब वो सामने आया तो उसकी दाढी और बाल बढे हुए थे। पुन पर उसने कहा 'भाई ये श्रावण मास के कारण।
लोग अपने हिन्दू धर्म की परंपराओ को कितना गलत तरीके से लेते है। जहां तक मेरी मान्यता है श्रावण मास इश्वर के लिए पूर्ण ब्रह्मचर्य, समर्पण और भक्ति के लिए है, इसलिए इसे श्रावण मास को वर्ष का सबसे पवित्र महिना कहा जाता है। शास्त्रो मे भी इसका समर्थन प्राप्त है।
ब्रह्मचर्य -
दुनिया की सभी इतर बातो से मन हटाकर केवल इश्वर मे मनको केन्द्रित करना। उस उसके लिए सबसे पहले मीताहार और सात्विक भोजन होना चाहिए, हो सके तो एक हीरा भोजन ग्रहण करे। आहार का मनकी प्रकृति से सिधा संबंध है। कहते है जैसा अन्न वैसा मन। आप जैसा भोजन ग्रहण करोगे आपके विचार ऐसे ही होगे।
काम वासना से अपने को दुर रखे, इससे अपने को इश्वर स्मरण मे लीन कर सको।
भूमी शयन या धर्म से बने बिछौने पर रात को सोये।
और अंत मे इन सब बातो मे लीन रहने से बाल दाढी और मुख की तरफ बेध्यान हो जाना।
अब इन सब भावनाओ को भुलाकर लोग मीताहार की सही परिभाषा को भुलाकर बडे अभियान से कहते सुनाई देंगे "मै तो इस पुरे श्रावण मास मे सिर्फ एक समय ही खाता हूअं। लेकिन उस एक समय मे हर प्रकार के व्यंजन थाली मे लेकर आरोगे जाते है जिसका मीताहार से कोइ लेना देना नही होता।
इसी तरह जो मन मे आया का लिया पी लिया जब चाहा खाया पीया लेकिन वो श्रावण मास के दरमियान दाढी, मुख और बाल बढा दिया तो हो गया श्रावण महिने का व्रत।
मित्रो यह सब गलत तरीके है यह केवल दिखावा है। अगर सही अर्थ मे श्रावण मास का व्रत करना चाहते हो ईश्वर कृपा प्राप्त करना चाहते हो तो सही तरीके से पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करो और संपूर्ण भक्ति और समर्पण से ये हो पायेगा। बाकी सब व्यर्थ आडंबर है दिखावा है।
🚩🚩🕉 नमः शिवाय 🕉🚩🚩

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