Saturday, April 28, 2012

भगवान के अवतार के भेद

A COMPLETE NOTE BY "ACHARYSIYARAMDAS NAIYAIK


भागवत में एते चांशकला पुंस: कृष्णस्तु भगवान् स्वयम्-१/३/२८ में भगवान के अंश और कला इन दो अवतारों की चर्चा हुई है !यहाँ च शब्द से पूर्णावतार का संकेत किया गया है! च शब्द जिसे साक्षात् नहीं कहा गया उसका संकेत करता है! इसीलिए विद्वान चकरोsनुक्त समुच्चयार्थकः कहते हैं! श्रीराम कृष्ण और नरसिंह भगवान में ज्ञान शक्ति बल ऐश्वर्य तेज तथा वीर्य ये छः गुण पूर्ण रूप से विराजमान है अतः ये तीनों पूर्णावतार हैं !भागवत श्रीधरी के ऊपर प्रसिद्द टीका वन्शीधरी में रामावतार के प्रसंग में नवम स्कंध में यह स्पष्ट किया गया कि श्रीराम पूर्णावतार है –
“रमन्ते योगिनोन्ते सत्यांनन्दे चिदात्मनि!
इति राम पदेनासौ परब्रह्माभिधीयते !!” –
रामतापनीयोपनिषद ! इससे यह निश्चित हुआ कि अवतार ३ प्रकार के होते हैं पूर्णावतार; अंशावतार और कलावतार! इनमे कुछ अंशावतार हैं जैसे मत्स्य कूर्म वराह आदि और कुछ कलावतार हैं जैसे सनक सनंदन नारद आदि! भगवान का जब जीव में आवेश आता है तब कलावतार होता है ! भागवतामृत में इस तथ्य की चर्चा इस प्रकार की गयी है --ज्ञान शक्ति आदि कलाओं से भगवान जिस जीव में आविष्ट होते हैं वे महान जीव कलावतार कहे जाते हैं -
“ज्ञान शक्त्यादिकलया यत्राविष्टो जनार्दनः !
त आवेशा निगद्यन्ते जीवा एव महत्तमाः !!
वैकुण्ठेपि यथा शेषो नारदः सनकादयः !!”
जैसे वैकुण्ठ मे शेषनाग नारद जी और सनकादि ! पद्म पुराण मे भी कहागया है कि सर्व व्यापक भगवान् सनकादि तथा नारद आदि मे आविष्ट होते हैं! शंख चक्र गदाधारी भगवान पृथु जी में क्रिया शक्ति के अंश से आविष्ट हुए -
"आविवेश पृथुम् देवः शंखी चक्री चतुर्भुजः !"
परशुराम जी में अपनी शक्ति के अंश से आविष्ट हुए ---
“एतत्ते कथितं देवि जामदग्नेर्महात्मनः !
शक्त्यावेशावतारस्य चरितं शार्ङ्गिणः प्रभोः!!”
और कलियुग के अन्त मे विप्रवर ब्रह्मवादी कल्कि में जगत्कर्ता भगवान प्रविष्ट होकर संसार का पालन करते हैं --
“कलेरन्ते च संप्राप्ते कल्किनं व्रह्मवादिनम् !
अनुप्रविश्य कुरुते वासुदेवो जगत् स्थितिम्!!”
भगवान के इन अवतारों में सनत कुमार नारदादि क्रमश: ज्ञान भक्ति तथा शक्ति के अंश से आविष्ट है! महाराज पृथु आदि क्रिया शक्ति के अंश से आविष्ट है! भगवान के ये आवेशावतार महाशक्ति एवं अल्पशक्ति के भेद से दो प्रकार के है! महाशक्ति के आवेश से जो सनकादि तथा नारदादि प्रकट होते है! ये अवतार कहे जाते है! एवं अल्पशक्ति के आवेश से जो जीव उत्पन्न होते है! वे विभूति कहे जाते है! जैसे मरीचि आदि !
--- आचार्य सियारामदास  नैयायिक 

1 comment:

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