Friday, July 1, 2016

~: मेरी मृत्यु :~

सभी मित्रो से विनती है इसे जरूर पुरा पढे

हर दिन की तरह आज की सुबह थी। मुझे ओफिस जाना था। आन्गन मे पडे अखबार को उठाकर आखरी पन्ने पर मेरी तस्वीर देख चौक गया।

वो मेरे अवसान की खबर थी ! मुझे बडा आघात लगा। 'हा ! कल रात सोते समय सीने थोडा दर्द था। पर बाद मे तो चैन से सो गया था?

मै घडी की तरफ देखता हूँ, अरे ! दस बज गये है। मेरी चाय कहां है? मुझे ओफिस जाने मे देर हो गई है.....

अरे ! सब कहां चले गये ? मेरे कमरे के बाहर सब लोग क्युं जमा हुए है ? इतने सारे लोग ? जरूर कुछ गडबड है।

कुछ रो रहे है, बाकी चुप खडे है। अरे ! ये क्या?  मेरा शरीर तो फर्श पर पडा है। 'सब सुनो मैं यहां हूँ, उस शरीर मे नही।' 'मुझे कोइ नही सुनता ?'

अरे ओ ! मैं मरा नही, देखो यहां हूँ। मैं चिललाया। पर किसीने नही सुना। किसीको भी मुझ मे दिलचस्पी नही थी।

 सभी मेरे निश्चेैतन पडे शरीर की और शोक से देख रहे थे। मैं फिर मेरे शयन खंड मे गया।

मैने अपने आप से पुछा, क्या मैं सच मे मर गया हूँ  ? मेरी पत्नी, मेरा बच्चा, मेरे माता-पिता, मेरे मित्र - सब कहां है ?

मैं बगल वाले कक्ष मे गया, वहां सब रो रहे थे; एक दुसरे को आश्वासन दे रहे थे। मेरी पत्नी सब से ज्यादा आक्रंद कर रही थी।

उसे सबसे ज्यादा दुख हुआ है ऐसा लग रहा था। मेरे छोटे पुत्र को ये क्या हो रहा है, उसकी कोई समज नही थी पर उसकी मा रो रही थी, इस लिए वो भी रो रहा था ऐसा लगा।

अरे ! मेरे इस लाडले को मै बहोत प्यार करता हूँ, ऐसा कहे बिना मैं कैसे विदा हो सकता हूँ ?

मेरी पत्नी ने मुझे बहोत संभाला है, ऐसा कहे बिना मै कैसे मर सकता हूं ? एकबार तो उसे कह दु मैं उसे बहोत प्यार करता हूं ।

अरे ! माता -पिता को एकबार तो कहुँ, मैं जो कुछ भी था सब आपकी बदौलत था। मेरे मित्रो के बगैर मैने जीवन मे अनेक गलतीया की होती; ऐसा उनसे कहे बिना मैं कैसे विदा हो सकता हूँ ?

उन सबको मेरी वास्तव मे जरूरत थी तब मैं उनके काम नही आया; उसके लिए अफसोस जताए बिना मैं कैसे मर सकता हूं ?

देखो उस कोने मे चुपचाप आसु बहा रहा है, अरे ! वो कभी मेरा डीग्री दोस्त था। एक छोटे से मतभेद और गलतफहमी के कारण हम अलग हुए थे ; और हमारे अहम के कारण फिर कभी नही मिल पाये।

मै उसके पास गया अपना हाथ उसकी तरफ किया, मुझे उससे मेरा अफसोस व्यक्त करना था। फिर से उसके जिगरजान बनना था। 'मेरे दोस्त माफ कर दे', ऐसा कुछ ना था।

अरे ! उसे मेरा हाथ दिखाई नही देता ? वो कैसा निष्ठुर है ? मैं इतनी सहजता से मेरा हृदय खोलके आगे बढ रहा हूँ ; फिर भी वो कितना अभिमानी है ?

सचमुच मुझे ऐसे लोगों के लिए संवेदनशील नही होना चाहिए। पर एक सेकेंड, शायद उसे हाथ नही दिख रहा ! भुल गया ! मेरा तो शरीर बाजुवाले कक्ष मे पडा है न?

हे भले भगवान ! मैं तो सचमुच मर गया हूँ। मैं मेरे शव के पास बैठ गया। मुझे जोर का रोना आ गया।

हे भगवान ! मुझे कुछ दिनो के लिए जिन्दा कर दे। मैं मेरी पत्नी, मेरा बच्चा, मेरे माता-पिता, मेरे मित्रो को समझा दु कि वो सब मुझे कितने प्यारे है....

इतने मे मेरी पत्नी मेरे पास आ पहोची, वो कितनी सुंदर दिखाई दे रही है? मैं चिल्लाता हूँ , अरी ओ ! तुम सच मे सुंदर है।" पर उसे कहा मेरी आवाज सुनाई देती है ?

'मैने कभी भी उसे ऐसे शब्द प्यार से कहे हैं? मैं चिल्ला उठता हूँ, "हे भगवान ! मेहरबानी करके मुझे कुछ समय के लिए जिन्दा करशे !"

मैं रो देता हूं।

"मुझे एक आखिरी मौका देदे मेरे प्यारे ! मैं मेरे प्यारे बच्चे को गले लगा लु। मेरी मा को आखरी एक मुस्कान देदु। मेरे पिता को मेरे लिए गर्व हो ऐसे दो शब्द उन्हे कह दु।'

'मेरे मित्रो को जो कुछ नही दिया उसके लिए क्षमा याचना कर लु। मेरे जीवन अभी तक रहने के लिए शुक्रिया कह दु।'

मैने उपर देखा और मैं जोर से रो पडा। मै फिर से चिल्लाया,  अरे ! प्रभु, मुझे आखरी मौका देदे, मेरे प्यारे !

और ....
मेरी पत्नी ने मुझे हल्के से जगाया और बडे प्यार से कहा, "आप नींद मे ऐसे क्युं रो रहे हो ? आप को कुछ होता है ? नींद जरूर कोई बुरा सपना देखा होगा।"

'अरे ! मै जीन्दा हूं। मेरी पत्नी मुझे सुन सकती है,' मेरे जीवन का ये सबसे सुखद लम्हा था।

मित्रो ......
कल ही मृत्यु आनेवाली है ऐसा मानकर आज को जी ले तो ?

किसी से क्षमा याचना करनी हो, किसीको कुछ कहना हो, कुछ सुपुर्द करना हो तो राह मत देखो। हर दिन जीवन का आखरी दिन से,  ऐसा सोच कर जीए तो.....?

आशा करता हूँ यह जीवन की सच्चाई को कथा के रूप मे पढकर अच्छा लगा होगा। अगर हा तो फिर खुद भी अमल करो दुसरो को भी समझाओ और खुश रहो।
आपके दीर्घायु की प्रार्थना करते हुए शुभकामनाओ के साथ नमस्कार।

No comments:

Post a Comment