Tuesday, August 30, 2016

दमण के रिक्शावाले

मित्रो आज अखबार मे पढा के रीक्शा एसोसिएशन और मिनीबस एसोसिएशन ने मिलकर सारथी बस सेवा के सामने विरोध जताया और एक स्थानीय अग्रणी नेता से इसे नये प्रशासक महोदय तक ले जाने की गुहार लगाई है।
मै व्यक्तिगत तौर पर ऐसा समझता हूं ये दोनो एसोसिएशन मिलकर पहले वापी गुजरात की तरफ से आते रीक्शा वाले धड़ल्ले से दमण तक पेसेन्जर ले आते है और वे जाते है उस संपूर्ण बंध करवाए। मुझे विश्वास है उनका सबसे बडा धंधा वे वापी और गुजरात से आनेवाले रीक्शा वाले ले जाते है। एक बार पुछने यही रिक्शेवाले कहते भाई हम तो थक गये है। कितना मारा पीटा फिर भी वो आते है।
आपकी तकलीफ का निराकरण वापी गुजरात से आनेवाले रिक्शा को बंध करने मे है अथवा आप भी उनकी तरह वापी गुजरात तक जाओ। अथवा वापी सिलवासा के रिक्शेवालो की तर्ज पर बाकायदा दैनिक परमिट चेकपोस्ट से ली जाये।
बाकी सारथी बस सेवा का विरोध करना तो एसा है जैसे एक घरमे तीन भाई बडा मीनीबस वाला, मजा रिक्शावाला और छोटा सारथी बस तो बडे दो अपनी कमजोरी और गलती सुधारना नही चाहते और मन मे हमेशा छोटा जो इन दो बडे भाई की गलती को देख उस हिसाब धंधा करे और ज्यादा कमाये तो वो बडे दोनो को अखरता है।
वास्तविकता यही है के आपकी तकलीफ सिर्फ और सिर्फ वापी गुजरात से आनेवाले रिक्शा वाले है। उसे बंध कराओ आपका काम बन जायेगा।
वापी के रिक्शावाला की कितनी दादागिरी सोमनाथ जो दमण का भाग वहां उनका बाकायदा स्टेन्ड और दमण मे ही दमण के रिक्शा वाले इधर उधर जहां जगह मिले खडे हो जाये।

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