माता
कैकयी यथार्थ जानती है,,जो नारी युद्ध भूमि में दशरथ के प्राण बचाने के
लिये अपना हाथ रथ के धुरे में लगा सकती है,,रथ संचालन की कला म
ें
दक्ष है,,वह राजनैतिक परिस्थितियों से अनजान कैसे रह सकती है,,2,,मेरे राम
का पावन यश चौदहों भुवनों में फैल जाये,,और यह विना तप के रावण वध के
सम्भव न था अतः....3,,,मेरे राम केवल अयोध्या के ही सम्राट् न रह जाये
विश्व के समस्त प्राणियों हृहयों के सम्राट बनें,,उसके लिये अपनी साधित
शोधित इन्द्रियों तथा अन्तःकरण को पुनश्च तप के द्वारा ,तदर्थ सिद्ध
करें,,,4,,सारी योजना का केन्द्र राक्षस वध है अतः दण्डकारण्य को ही
केन्द्र बनाया गया,,महाराज अनरण्यक के उस शाप का समय पूर्ण होने में 14 ही
वर्ष शेष हैं जो शाप उन्होंने रावण को दिया था कि मेरे वंश का राजकुमार
तेरा वध करेगा,,
--- श्री शशि भूषणसिंह चौहान
--- श्री समर्थ श्री
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ReplyDeleteराम ने न तो सीता जी को वनवास दिया और न शम्बूक का वध किया