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नहीं आती। भीड को कई बार हम एकता की डोर में इसलिए नहीं बांध पाते,
क्योंकि उनमें वैचारिक रूप से कोई तालमेल नहीं होता। एकता के लिए वैचारिक
तालमेल महत्वपूर्ण है। एकता विलय का प्रतीक नहीं, वरन आपसी प्रेम,
भाई-चारे, श्रेष्ठता और जागरूकता का प्रतीक है। जो वृक्ष एक साथ मिलकर खडे
होते हैं, वे बडी से बडी आंधी की मार भी झेल जाते हैं। पांच अंगुलियां भी
एक साथ मिलकर मजबूत मुट्ठी बन जाती हैं। एकता का मतलब है-हमारे एक से
उद्देश्य हों, हमारी सोच एक दूसरे की मदद करने वाली हो, हमारा चिंतन-मनन
सबके कल्याण के लिए हो। हमारा ध्येय मानव जगत और विश्व का कल्याण हो, हम
सुख-दुख में एक हों। एकता का तात्पर्य है मन-मन के भेद को मिटाकर एक राह
में आगे बढना। यही कारण है कि कई लोगों द्वारा मिलकर गलत काम करने को हम
एकता नहीं कहते।
कई बार तुच्छ स्वार्थो और अहंकार के बीच परिवार टूट जाते हैं, पार्टियां बिखर जाती हैं। एकता कायम रखने के लिए आवश्यक है कि हम अपने अंदर कुछ त्याग की भावना लाएं, स्वयं को विराट बनाएं, संकीर्णताओं से ऊपर उठें। एक-दूसरे की भावनाओं को समझें और सम्मान दें। कहा भी गया है, संघे शक्ति: कलियुगे। संगठन की वीणा तभी सुंदर बजती है, जब उसके सभी तारों में तालमेल हो।
कई बार तुच्छ स्वार्थो और अहंकार के बीच परिवार टूट जाते हैं, पार्टियां बिखर जाती हैं। एकता कायम रखने के लिए आवश्यक है कि हम अपने अंदर कुछ त्याग की भावना लाएं, स्वयं को विराट बनाएं, संकीर्णताओं से ऊपर उठें। एक-दूसरे की भावनाओं को समझें और सम्मान दें। कहा भी गया है, संघे शक्ति: कलियुगे। संगठन की वीणा तभी सुंदर बजती है, जब उसके सभी तारों में तालमेल हो।
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