पढ़ाई में मन की एकाग्रता हेतु सरल, चमत्कारी टिप्स
अपने अध्ययन कक्ष में मां सरस्वती का छोटा सा चित्र लगाएं व पढ़ने के लिए बैठने से पूर्व उसके समक्ष कपूर का दीपक जलाएं अथवा तीन अगरबत्ती हाथ जोड़ कर जलाएं, प्रार्थना करें व पढ़ाई शुरू करें।
एक थाली में केसर में गंगाजल मिलाकर बनी स्याही से स्वास्तिक चिह्न बनाएं। उस पर नैवेद्य चढ़ाएं। सामने शुद्ध घी का दीपक जला कर रखें। ऊपर वर्णित किसी स्तोत्र (संस्कृत अथवा हिंदी) से मां सरस्वती की स्तुति करें। इसके बाद थाली में जल मिलाकर गिला
अपने अध्ययन कक्ष में मां सरस्वती का छोटा सा चित्र लगाएं व पढ़ने के लिए बैठने से पूर्व उसके समक्ष कपूर का दीपक जलाएं अथवा तीन अगरबत्ती हाथ जोड़ कर जलाएं, प्रार्थना करें व पढ़ाई शुरू करें।
एक थाली में केसर में गंगाजल मिलाकर बनी स्याही से स्वास्तिक चिह्न बनाएं। उस पर नैवेद्य चढ़ाएं। सामने शुद्ध घी का दीपक जला कर रखें। ऊपर वर्णित किसी स्तोत्र (संस्कृत अथवा हिंदी) से मां सरस्वती की स्तुति करें। इसके बाद थाली में जल मिलाकर गिला
स में डालकर पी लें। ऐसा करने से शिक्षा के क्षेत्र में पूर्ण उन्नति होती है।
अध्ययन कक्ष के द्वार के बाहर अधिक प्रकाश देने वाला बल्ब लगाएं उसे शाम होते ही जल दें।
विद्यार्थी अपनी मेज पर ग्लोब रखें और दिन में तीन बार उसे घुमाएं।
परीक्षाओं से पांच दिन पूर्व से बच्चों को मीठा दही नियमित रूप से दें। उसमें समय परिवर्तन करें। यदि एक दिन सुबह 8 बजे दही दिया है तो अगले दिन 9 बजे, उसके अगले दिन 10 बजे, उसके अगले दिन 11 बजे दें। इस क्रिया को दोहराते रहें और प्रतिदिन एक घंटा बढ़ाते रहें।
पढ़ते समय विद्यार्थी का मुंह पूर्व अथवा उत्तर दिशा में होना चाहिए। पश्चिम की ठोस दीवार की ओर पीठ करके बैठना चाहिए।
कंप्यूटर आग्नेय कोण में (दक्षिण-पूर्व) तथा पुस्तकों की अल्मारी नैर्ऋ्रत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) में रखें। अल्मारी खुली न रखें। उस पर दरवाजा न हो तो परदा अवश्य लगाएं।
एक क्रिस्टल बाॅल अथवा क्रिस्टल का श्रीयंत्र लाकर अपने अध्ययन कक्ष में रख लें। यह नकारात्मक ऊर्जा को सोख लेता है।
विद्यार्थी सुबह उठते ही ‘‘¬ ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः’’ का 21 बार जाप करें।
जो बच्चे पढ़ते समय शीघ्र सोने लगते हैं, अथवा मन भटकने के कारण अध्ययन नहीं कर पाते उनके अध्ययन कक्ष में हरे रंग के परदे लगाएं।
जिन बच्चों की स्मरण शक्ति कमजोर हो, उन्हें तुलसी के 11 पत्तों का रस मिश्री के साथ नियमित रूप से दें।
अध्ययन कक्ष के द्वार के बाहर अधिक प्रकाश देने वाला बल्ब लगाएं उसे शाम होते ही जल दें।
विद्यार्थी अपनी मेज पर ग्लोब रखें और दिन में तीन बार उसे घुमाएं।
परीक्षाओं से पांच दिन पूर्व से बच्चों को मीठा दही नियमित रूप से दें। उसमें समय परिवर्तन करें। यदि एक दिन सुबह 8 बजे दही दिया है तो अगले दिन 9 बजे, उसके अगले दिन 10 बजे, उसके अगले दिन 11 बजे दें। इस क्रिया को दोहराते रहें और प्रतिदिन एक घंटा बढ़ाते रहें।
पढ़ते समय विद्यार्थी का मुंह पूर्व अथवा उत्तर दिशा में होना चाहिए। पश्चिम की ठोस दीवार की ओर पीठ करके बैठना चाहिए।
कंप्यूटर आग्नेय कोण में (दक्षिण-पूर्व) तथा पुस्तकों की अल्मारी नैर्ऋ्रत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) में रखें। अल्मारी खुली न रखें। उस पर दरवाजा न हो तो परदा अवश्य लगाएं।
एक क्रिस्टल बाॅल अथवा क्रिस्टल का श्रीयंत्र लाकर अपने अध्ययन कक्ष में रख लें। यह नकारात्मक ऊर्जा को सोख लेता है।
विद्यार्थी सुबह उठते ही ‘‘¬ ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः’’ का 21 बार जाप करें।
जो बच्चे पढ़ते समय शीघ्र सोने लगते हैं, अथवा मन भटकने के कारण अध्ययन नहीं कर पाते उनके अध्ययन कक्ष में हरे रंग के परदे लगाएं।
जिन बच्चों की स्मरण शक्ति कमजोर हो, उन्हें तुलसी के 11 पत्तों का रस मिश्री के साथ नियमित रूप से दें।
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