Wednesday, July 11, 2012

हिन्दू धर्म और विज्ञान

 प्रश्न
एक लड़की का शोर्ट , स्किर्ट , या मिनी स्किर्ट जो कुछ भी हो ..
पहनने के पीछे क्या राज हो सकता है .......?????
१ क्या पढ़े लिखे का लक्षण है ,
२ अमीर है
३ समान अधिकार दिखाना चाहती है
४ बदतमीज़ परिवार से है, और वेश्या है या बनना चाहती है |
 

श्री चन्दन प्रियदर्शी  का उत्तर

प्रथम विकल्प:- १. क्या यह पढ़े लिखे का लक्षण है ?
उत्तर:- ऐसा कोई प्रतिबन्ध समाज में नहीं है कि अनपढ़ या अशिक्षित लड़की मिनी स्कर्ट जैसे पारिधानों का उपयोग नहीं कर सकती है ! और यह भी नहीं है कि वैसी सम्पूर्ण नारी जाती जो कि शिक्षित या अल्प-शिक्षित हैं केवल ऐसा ही पारिधान का उपयोग करती हों! मिनी स्कर्ट तो शिक्षित तथा अशिक्षित दोनों करती हैं तथा यह सर्वविदित भी है ! तो मिनी स्कर्ट धारण करना शिक्षित-अशिक्षित होने का द्योतक नहीं हो सकता !

द्वितीय विकल्प :- २ अमीर है .
उत्तर:- आजकल मिनी स्कर्ट तो क्या ऐसे अनेक परिधान जो सम्पूर्ण रूपेण पाश्चात्य हैं, सस्ती दामों में उपलब्ध हैं ! तो ऐसे में मिनी स्कर्ट धारण करना अमीरी-गरीबी का भी द्योतक नहीं हो सकता है !

तृतीय विकल्प:- ३ समान अधिकार दिखाना चाहती है ?
उत्तर:- प्रतिप्रश्न: किस बात का सामान-अधिकार, कैसा सामान अधिकार अथवा किसको दिखाना चाहती है ? उसे तो सामान अधिकार प्राप्त है ही , बल्कि वह तो मिनी स्कर्ट धारण करके उसने अपने विशेषाधिकार का प्रदर्शन किया है , कोई पुरुष वर्ग कभी कमर के निचे उतने छोटे परिधान कदाचित ही पहनता हो !

चतुर्थ विकल्प:- ४. बदतमीज़ परिवार से है, और वेश्या है या बनना चाहती है |
उत्तर:- तथाकथित संभ्रांत परिवारों की सदस्य लड़कियां भी यह पहनती है तो उन्हें बदतमीज कहना आधुनिक बदतमीजी की आधुनिक परिभाषा का अतिक्रमण करना होगा ! अतः उन्हें बदतमीज भी नहीं कह सकते हैं ! और वेश्यावृत्ति अपनाने वाली लडकिय मिनी स्कर्ट ही धारण करती हों यह भी सत्य नहीं हैं , क्योंकि इस वृत्ति में आने वाली तो बिना इसके भी आ सकती है !

परन्तु ऐसा परिधान क्यों तथा क्या कारण है ?

तो इसका सर्व-प्रमुख कारण है पाश्चात्य संस्कृति का अन्धानुकरण , इसका कारण है भारतीय समाज के शिक्षा जगत का कोढ़ बन बैठा यह पाश्चात्य शिक्षा का व्यवसाय केंद्र तथा उसके ठेकेदार ! वो ऐतिहासिक ठेकेदार भी जिन्होंने इसका समर्थन किया था , केवल इस बात के लिए कि लोग अंग्रेजी सीखेंगे ! एक तथाकथित महापुरुष के इस तर्क के प्रतिउत्तर में एक ग्रामीण ने पूछा कि अंग्रेजी सीखना क्या हमारे खेती में सहायक होगा तो वो निरुत्तर हो गए थे ! तो पुनः तर्क दिया कि आपके बच्चे टाई-बेल्ट पहनेंगे , उसके आगे का वार्तालाप अत्यंत ही हास्यास्पद है ! जब लोग पहनावे के लिए , पाश्चात्य संस्कृति के प्रसार के लिए पाश्चात्य संस्कृति का अनुमोदन कर रहे थे तो उनका वह प्रयास अज सफल हुआ तथा मेकाले का वह कथन भी जिसमें उसने यह कहा था कि जब-कभी भी भारत आजाद भी हो जायेगा तब भी वहां हमारा ही अधिकार रहेगा , वह के शैक्षणिक संस्थानों से जो पढ़े लिखे निकलेंगे वह शारीर से भारतीय तो रहेंगे परन्तु उनकी मानसिकता हमारे जैसी होगी !

अब इसके पीछे का क्या विशेष कारण है कि आज के आधुनिक लडकिय वी वस्त्र पहनती है यह तो सम्पूर्ण रूप से किसी भी के लिए कहना संभव नहीं होगा , क्योंकि यह उनका व्यक्तिगत मामला है तथा सभी लड़कियों कि व्यक्तिगत मानसिकता भी ! अतः इसे किसी एक विकल्प के अन्दर रखना बहुत कठिन है !


समर्थ श्री का उत्तर  
स्वतन्त्रता और स्वच्छंदता का अन्तर समझना होगा,,जितनी ऊंचाईयां आज मातृ शक्ति छूने को लालायित दिख रही है ,,उतना अधिक पतन का भय भी बढ रहा है,,एक पुरुष के पतन से केवल एक का ही विनाश हो सकता है परन्तु एक नारी के पतन पथ पर पग रखने मात्र से सीमा रहित महाविनाश संभाव्य है,,शालीनता थोपना नहीं है शालीनता शिष्टता एवं शिक्षित होने का संकेतक है,,,कल्कि जी हो या अन्य,लगता होगा कि ये आधुनिकता के समर्थक होकर गलत कह रहे हैं,,परन्तु हमको लगता है ये लोग भी शुभचिन्तक ही हैं,जितना प्रबलता से प्रतिपक्ष खण्डन करेगा उतनी ही सार्थक समीक्षा हो सकेगी,,विभुजी अनिलजी,ठाकुर जी,आदित्य जी,और कल्कि जी सहित हिन्दु धर्म विज्ञान जी,,अंततः स्वीकार करना पङेगा कि जितनी दुर्दशा शोषण अत्याचार आज माताओं के साथ हो रहा है,,उतना कभी नहीं था नहीं था नहीं था,,अन्तर ये है कदाचित तब केवल अपने कुछ कह जाते होंगे,,अब आंफिस में थोङी देर होने पर दौङती हांफती बिचारी पहुंची नहीं कि,डाट शुरु तब साँरी सर साँरी सर करके क्षमा मांगती,,वासना के भूखे भेङियों की वीभत्स वहसी तीखी नजरों से खुद की आबरू बचाती सी कैसे जी रही है,,,मत देना तर्क सब का नसीब किरण बेदी इन्दिरा नूरी जैसा नहीं है,,क्या हैं ये काल सेंटर किससे छिपा है, ये उस हृदय की वेदना है जो मेरे देश की मातृशक्ति की दुर्दशा को देख चीत्कार कर उठता है,,संसार चलाने को दो तो चाहिये ही,,और ये भी निश्चित है एक को घऱ वचाने के लिये रुकना पङेगा ,,अन्यथा संतति संस्कार हीन हो जायेगी,,घर बर्बाद हो जायेगा,,घर पर पुरुष रहे यै स्त्री,,

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