आध्यात्म का वैज्ञानिक आधार
दुनिया में धर्म और विज्ञान को एक दूसरे के
विपरीत दो अलग अलग विषय माना जाता है जबकि दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू
हैं। संसार दो प्रकार का होता है पहला दृश्य संसार जो हमें आखों से दिखाई
देता है दूसरा अदृश्य संसार जो हमें आखों से दिखाई नहीं देता, हम दृश्य
संसार को भौतिक संसार एवं अदृश्य संसार को मानसिक संसार भी कहते है। भौतिक
संसार को सभी व्यक्ति एक जैसा देखते हैं एवं एक समान व्यवहार करते हैं
परंतु अदृश्य या मानसिक संसार को प्रत्येक व्यक्ति अलग तरह से देखता एवं
अलग व्यवहार करता है। विज्ञान दृश्य संसार का विषय है एवं धर्म अदृश्य
संसार का विषय है, चूंकि अदृश्य संसार की प्रतिक्रिया से ही दृश्य संसार
प्रगट होता है इसलिए धर्म या आध्यात्म को ही मूल विज्ञान कहा गया है।
प्रस्तुत लेख आध्यात्म और विज्ञान को जोड़ने का एक प्रयास है इसमें न तो
विज्ञान के किसी सिद्धांत का उलंघन होता है न ही धर्म के किसी सिद्धांत का
उलंघन होता है। विज्ञान को समझे बिना यदि कोई व्यक्ति यह कहता है कि वह
धर्म या आध्यात्म का ज्ञाता है तो वह झूठ बोलता है, जब तक कोई व्यक्ति
ब्रहृांड एवं मनुष्य की संपूर्ण वैज्ञानिक संरचना एवं क्रिया प्रणाली को
नहीं समझता तब तक वह धर्म या आध्यात्म को नहीं समझ सकता। यह लेख भौतिक
विज्ञान जीव विज्ञान सापेक्षवाद एवं मनोविज्ञान पर आधारित है। भौतिक एवं
जीव विज्ञान दृश्य संसार का विषय है सापेक्षवाद एवं मनोविज्ञान अदृश्य
संसार के विषय हैं इसमें चारों के आपसी संबंध एवं क्रियाप्रणाली को दर्शाया
गया है। यह लेख वेदमाता गायत्री द्वारा दी गई शिक्षा, स्वयं के अनुभव एवं
आत्मज्ञान पर आधारित है। यहां धर्म एवं आध्यात्म का वर्णन आधुनिक भाषा एवं
वैज्ञानिक आधार पर किया गया है धार्मिक एवं वैज्ञानिक ग्रन्थों में एक ही
चीज के अलग अलग नाम होने के कारण लोग इसे समझ नहीं पाते। इस लेख के प्रथम
भाग में धर्म को समझने के लिए आवश्यक वैज्ञानिक तथ्यों पर प्रकाश डाला गया
है एवं दूसरे भाग में योग के माध्यम से ईश्वर तक पहुंचने का सही तरीका
बताया गया है। लोग आज धर्म के वास्तविक स्वरूप को भूल चुके हैं धर्म अब
अंधविश्वास, व्यवसाय और राजनीति तक ही सीमित रह गया है। यह लेख धर्म के
वास्तविक स्वरूप को पुनर्जीवित करने का एक प्रयास है। इस लेख में देवी
देवताओं, भूत प्रेत, तंत्र मंत्र एवं अन्य धर्मिक रहस्यों की वैज्ञानिक
व्याख्या की गई है। यदि हम धर्म के वास्तविक स्वरूप को समझना चाहते हैं तब
इस लेख के प्रथम भाग में वर्णित वैज्ञानिक तथ्यों को समझना आवश्यक है इसको
समझे बिना कोई भी व्यक्ति धर्म के वास्तविक स्वरूप को नहीं समझ सकता इसमें
ईश्वर, आत्मा, मन, प्राण आदि सहित मानव शरीर की सूक्ष्म संरचना एवं
क्रियाप्रणाली को दर्शाया गया है इसे पढ़कर हम स्वयं के वारे में सब कुछ
जान सकते हैं। आध्यात्म एवं धर्म को समझने के लिए इसे जानना अति आवश्यक है।
इस लेख में वैज्ञानिक या वेद पुराणों की भाषा का उपयोग नही किया गया है।
इसमें सरल एवं सबकी समझ में आने योग्य आधुनिक बोलचाल की भाषा का ही प्रयोग
किया गया है। इस लेख में किसी भी चीज का पारिभाषिक एवं सैद्धांतिक तौर पर
ही उल्लेख किया गया है विस्तार से जानने के लिए यहां दिए गए सिद्धांतों को
आधार मानकर प्रमाणिक धार्मिक एवं वैज्ञानिक ग्रन्थों का अध्यन कर सकते हैं।
इस लेख में निम्न विषयों की व्याख्या की गई है।
1. आध्यात्म और विज्ञान
2. धर्म
3. ईश्वर
4. आत्मा
5. मन
6. ज्ञान
7. प्राण
8. सापेक्षवाद
9. देवी देवता एवं भूत प्रेत
10. ब्रह्मांड
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