Friday, June 22, 2012

वास्तु दोष निवारण

::: +++ "वास्तु शास्त्र से करें पूर्व दिशा को विकसित" +++ :::

पूर्व दिशा से सूर्योदय होता है इसलिए पूर्व दिशा के कमरे में भगवन सूर्य की फोटो या मूर्ति पूर्वी दीवाल में लगाना ज्यादा उचित होगा ,अगर आप बैठक कक्ष या लिविंग रूम में लगाना चाहते हैं तो इसे पूर्व की दीवाल में लगाये । पूर्व दिशा से शासन पक्ष को देखते हैं इसलिए शासकीय कर्मचारियों को घर के पूर्वी दीवाल पर भगवान सूर्य की मूर्ति लगाने से उच्चाधिकारियों का सहयोग मिलता है । जो लोग राजनीती के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं ,जो लोग चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं उन्हें भी पूर्वी दीवाल में भगवान सूर्य को स्थापित करना चाहिए । जो लोग विधायक है और जिन्हें मंत्री बनने की इच्छा है उन्हें अपने घर के पूर्वी दिशा के सारे दोष को तुरंत निराकरण करना चाहिए । जिनके घर में पूर्व में कोई द्वार है उन्हें भगवान सूर्य की कृपा के लिए पूर्वी द्वार के अंदर की ओर भगवान सूर्य की मूर्ति लगानी चाहिए । घर के पूर्वी दिशा से घर के अंदर पुरुष सन्तान प्रवेश करता है इसलिए जो दम्पति अपने कुल में कुलदीपक चाहते हैं उन्हें गर्भपात जैसे जघन्य अपराध करने की बजाय घर के पूर्वी कोण को विकसित करना चाहिए । अगर आप घर के पुरुषों से परेशान हैं या पुरुषों को स्वास्थ सम्बन्धी कोई परेशानी निरंतर बनी रहती है तो घर के पूर्व में सूर्य यंत्र स्थापित करना चाहिए
:::+++ "पेड़ पौधे से वास्तु दोष का निराकरण करें" +++ :::
** ऐसे सुंदर गमले घर में चारो ओर लगायें ,इस गमले को जरुर शेयर करें
**अगर घर के इशान कोण में कोई दोष है इशान कोण में कुछ गमले रख दें इससे दोष की तीव्रता कुछ कम हो जाएगी
**पेड़ पौधे सकारात्मक उर्जा के सबसे बड़ा स्त्रोत माना जाता है
**घर में अगर वास्तु दोष है तो दोष वाले स्थान में अधिक से अधिक पौधे गमले के रूप में लगायें
** घर में लगे हुए पेड़ पौधे को कभी भी न काटें क्योंकि सनातन धर्म के अनुसार पेड़ पौधों के अंदर अलग अलग देवता और ग्रहों का निवास होता है
**पेड़ पौधे प्रकृति में संतुलन स्थापित करते हैं
**पेड़ पौधे जहरीले कार्बन डाई आक्साईड को ग्रहण करके हमारे लिए आक्सीजन का निर्माण करते हैं
**आपके घर के आसपास जहाँ पर भी पेड़ों की संख्या अधिक होगा वहाँ पर का तापमान कम होता है
**भारत जैसे गर्म प्रदेश में कोई भी जो गर्मी से राहत दे दे उसको हमे सहेज कर रखना चाहिए
 
**वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में केक्टस का पेड़ न लगायें
**वास्तु शास्त्र के अनुसार घर ,दुकान ,फेक्टरी या व्यवसायिक परिसरों में केक्टस का पेड़ लगाने से मना किया जाता है
**केक्टस में कांटे होते हैं और कांटे वाले कोई भी पौधे घर के आसपास में नही होना चाहिए
**जिस घर में कांटे होंगे वहाँ पर रहने वाले लोग एक दुसरे को चुभने वाली बात कहते रहेंगे
**केक्टस मूलतः रेगिस्थान में होता है इसका अर्थ है केक्टस ऐसे स्थान पर होता है जहाँ पर कुछ भी नही होता
**इसलिए केक्टस के पौधे को घर में लगाने से घर उजाड़ हो जायेगा ,घर को रेगिस्तान में बदलते देर नही लगेगी
**केक्टस के पौधे से दूध जैसा सफेद द्रव्य निकलता है और वास्तु शास्त्र में दूध वाले पौधे को लगाने से दोष होता है
**शायद इसी वजह से केक्टस को घर में लगाने से मना किया जाता है
**आपको इसके आलावा और कौन सी वजह लगती है अपने विचार व्यक्त करें
 
::: ++ "वास्तु शास्त्र के अनुसार अपने व्यापार को नई ऊंचाई प्रदान करें" ++ :::
**वास्तु शास्त्र के अनुसार दो प्रकार का वास्तु होता है एक वास्तु जिसे हम स्थूल वास्तु कहते हैं और दूसरा वास्तु जिसे हम सूक्ष्म वास्तु कहते हैं
**स्थूल वास्तु में वास्तु शास्त्र के अनुसार कौन सी चीज कहाँ होनी चाहिए ये सब आता है जैसे किचन अग्नि कोण में ,पूजा इशान कोण में होना चाहिए
**सूक्ष्म वास्तु में जातक के व्यापार और कुंडली के आधार पर वास्तु का सूक्ष्म प्रयोग किया जाता है
**यहाँ पर हम आपको वास्तु के सूक्ष्म प्रयोग की जानकारी देंगे
**अगर किसी जातक का व्यापार राईस मिल है तो राईस मिल का तत्व अग्नि हुवा क्योंकि चांवल का उपयोग किचन में होता है और किचन का सम्बन्ध अग्नि कोण से है
**ऐसे जातक को अपना किचन अग्नि कोण में ही रखना चाहिए
**ऐसे जातक को अपना मीटर,जनरेटर या अग्नि से चलने वाली सामग्री अग्नि कोण में ही रखना चाहिए
**ऐसे जातक को अपना फेक्टरी की चिमनी हर हाल में अग्नि कोण में ही रखना चाहिए
**ऐसे जातक को घर और फेक्टरी के अग्नि कोण को जल तत्व के दोष से बचा के रखना चाहिए ,अर्थात अग्नि कोण में पानी की टंकी ,बोर,कुवाँ,सेप्टिक टेंक किसी भी हाल में नही रखना चाहिए
**अगर आपका राईस मिल नही चल पा रहा है तो आफिस एवं ड्राइंग रूम के अग्नि कोण में जलते हुए दिए एवं लाल रंग का बल्ब जलाकर रखना चाहिए
**घर के अग्नि कोण में रोज दिया जलाने से अग्नि कोण का तत्व विकसित होता है 
:::: ++++ "ध्यान के अभ्यास द्वारा अपनी नकारात्मकता को दूर करें" ++++ ::::
**जीवन में जितने प्रकार की पूजा होती है उसमें ध्यान पी एच डी है
**संत लोग कहते हैं जहाँ धर्म की सीमा समाप्त होती है वहाँ से आध्यात्म की शुरुवात होती है ,जितने प्रकार की पूजा है वो धर्म है
**संसार में जितने महत्वपूर्ण लोग हैं वे भी अपनी क्षमता का ७ से ८ प्रतिशत तक उपयोग कर पाते हैं जो लोग नियमित रूप से ध्यान कर पाते हैं वो अपनी काम करने की क्षमता को अनंत तक बढ़ा सकते हैं
**रामकृष्ण परमहंस जब काली के भक्त थे तब लोग उन्हें पगला बाबा कहते थे लेकिन उनके जीवन में गुरु के रूप में नागा बाबा आये उन्होंने रामकृष्ण को ध्यान का लगातार अभ्यास कराया ,इस अभ्यास के फलस्वरूप उनको परमात्मा की अनुभूति हुयी और तब वो परमहंस कहलाये
**विवेकानंद जी भी ध्यान के अभ्यास से विकसित हुए ,बुद्ध ,jisas,मोहम्मद ,जैन धर्म के प्रवर्तक महावीर सारे के सारे लोग ध्यान से ही विकसित हुए
**ध्यान का अर्थ होता है लगातार किसी एक विषय पर मन का लगा रहना
**आपने लिखा है ध्यान के दौरान आप हर चीज को अपने फेवर में कर सकते हैं -----ध्यान होता है निष्काम ----बगैर किसी इच्छा के संसार के रचियता उस परमात्मा को याद करना --जब ध्यान में आप किसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रयास रत रहेंगे तब वो ध्यान न होकर लेन देन व्यापार हो जायेगा -----ध्यान का एक ही लक्ष्य होना चाहिए उस परमात्मा के हांथों में अपने आप को सौंप देना --"जाही विधि रखे राम ताहि विधि रहिये"
**ध्यान में इच्छा सबसे बड़ी बाधक तत्व के रूप में सामने आता है ,ध्यान सारी इच्छा ,आकांक्षाओं ,जुडाव को समाप्त करता है
**ध्यान के दौरान जो अबोध बच्चे के समान हो जाता है वही उस परमात्मा को प्राप्त करने के लायक होता है
**अगर आप ध्यान में रूचि रखते हैं तो मैं आपको और अधिक जानकारी दे सकता हूँ

1 comment:

  1. Yantras play a crucial role in pujas where we urge to Laxmi to give us more money and prosperity.I really enjoy reading and also appreciate your work.
    Vastu Dosh Nivaran Yantra

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