एक बार मैंने एक बालक से पूछा (व्यंगय्त्मक रूप से )-
आपके पिता कौन हैं ?
बालक ने कहा - फलां व्यक्ति मेरा पिता हैं |
मैंने फिर पूछा - आपको कैसे मालूम चला की फलां व्यक्ति आपका पिता हैं |
उत्तर था - माँ ने बताया हैं
मैंने फिर पूछा - ये तो माँ ने बताया हैं तो फिर ये श्रुति हैं हुई
..तुम्हारे पास तुम्हारा वैज्ञानिक आधार क्या हैं की फलां व्यक्ति तुम्हारा
पिता हैं |
उसने पुनह उत्तर दिया - माँ सर्वश्रेष्ठ श्रोत हैं
पिता के आधार का , माँ ने कह दिया ..वो मेरे लिए सिद्ध हैं .. माँ ही मेरी
प्रथम श्रुति (वेद) हैं,
और वेद (श्रुति ) वही हैं जो प्रमाणिक श्रोत से ही सुनी जाए ..किसी अप्रमाणिक से नहीं |
अत: माँ ने कह दिया ..वो मेरे लिए सत्य हैं
प्रमाणिक श्रोत कभी संभावना व्यक्त नहीं करता अपितु ...सत्य स्थापित करता हैं |
उसकी बाते सुन मैं आश्चर्य चकित था | परन्तु मेरी जिज्ञासा का अंत कहा
होने वाला था ...मैं तो अब उसी बालक को गुरु स्वीकारने के लिए मुमुक्षु हो
चूका था ... अधीर हो चूका था ...
मैंने पुन: प्रश्न किया - फिर भी कोई तो विज्ञानिक आधार तो होगा की फला व्यक्ति तुम्हारा पिता हैं .
उत्तर था - हा वो भी एक तरह की श्रुति ही कह लो - डाक्टर द्वारा डी.न.ए. टेस्ट
परन्तु वो सिर्फ तुम्हारे पिता के बारे में संकेत कर सकता हैं ,
परन्तु ..प्रमाणिक श्रोत द्वारा श्रुति .तुम्हारे पिता ..के पिता के पिता
के बारे में भी सुनिश्चित करने में ..सफल हैं ..........उसी प्रमाणिक
श्रुति (वेद ) के द्वारा हम अपने परमपिता को भी जान सकते हैं परन्तु उसके
लिए प्रमाणिक गुरु (जिसने अपनी समस्त इन्द्रियों का निग्रह कर लिया हो, जो
धीर हो , जो काम, क्रोध, लोभ मोह से परे हो ) का होना जरुरी हैं |
--- श्री मनीष कुमार
इस प्रामाणिकता का भी तो प्रमाण चाहिये मनीष! बताओ, कौन प्रामाणिक? लक्षण सहित दिखा दो, और शीर्ष प्राप्त कर लो…
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