Friday, August 17, 2012

शास्त्रकी ताकत अदभुत हे.

शास्त्रकी ताकत अदभुत हे.सिकंदर जब हिंदुस्तान आया सिकंदर के मंत्रीने कहा ओर कुछ ना लेआओ तो कोई हर्ज नहि. लेकीन ऋगवेद की संहिता जरुर ले आना.उसमे जो हे वो कहि नहि.
सिकंदर भारत आया उसने तलास की तो उसको मालुम पडा पंजाब मे
एक ऋग्वेदिब्राम्हण हे.उसके पास पुरी संहिता हे.सिकंदर अपने सैनिको के साथ इस पवित्रब्राम्हण के घर गया ओर कहाकी ऋगवेद दे दिजिये. ब्राम्हण समज गया कि मे यदि संहिता नहि दुंगा तो ये लोग मुजे मार देंगे.कहा मे आपको ऋगवेद कि संहिता दुंगा लेकिन  एक विंनती हे.कल सुबह दुंगा.. क्यु ? देना हि हे तो अभी देदो सुबह होने तक कुछ परिवर्तन करलेना हे? ब्राम्हण बोले मे वचन देता हु हिंदुस्तानी हु.आप पहेरा लगा दिजीये चारो ओर मे सुबह मे देदुंगा. लेकीन करना क्या चाहते हो ? मेरी ईच्छा हे तुम्हारे हाथ मे दु इससे पहेले एक बार इसका पारायण करलु.
तो रात्री मे पारायण हो जायेगा सुबह मे आपको दे दुंगा. सिंकदर ने कहा ठिक हे.मे सुबह लेने आउंगा.
सिकंदर सुबह आया दरवाजा खोला तो देखता हे के संहिता के पन्ने ब्राम्हण यज्ञकुंड मे समर्पित कर रहा हे. मंत्र बोलता जाये ओर पन्ना डालता जाये.पुरी संहिता जलादि.यह देख सिकंदर ने समसेर खीचली.
ब्राम्हण ने कहा सिकंदर सस्त्र म्यान करदो.सिकंदर ने कहा ब्राम्हण तुमने घोखा दिया.तुमने जला दिया शास्त्र. (देखीये इस देश कि गरीमा).मे पुरी रात्री संहिता के मंत्र बोलता गया ओर ये मेरा ६ साल का बालक कंठस्त करता गया. तुम मेरे पुत्र को ले जा सकते हो. मे मेरे पुत्र को दे सकता हु.मेरे शास्त्र को नहि.
--- श्री अनिल कुमार त्रिवेदी 
 

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