Sunday, September 30, 2012

माँ त्रिपुरा भैरवी

 माँ त्रिपुरा भैरवी
माँ त्रिपुरा भैरवी जिन्हें काल भैरवी भी कहा जाता हैं। माँ देवी हैं इस नष्ट होते हुए संसार की। माँ त्रिपुरा भैरवी का मुख हजारों उगते हुए सूर्यों की रक्तिम आभा लिए हुए होता हैं। माँ के शरीर पर लाल वस्त्र एवं गले में मुण्डमाला सुशोभित रहती हैं । माँ के होंठ सदैव रक्त के भीगे रहते हैं।
माँ त्रिपुरा भैरवी दस महाशाक्तियों में पांचवे स्थान पे पूजी जाती हैं, माँ त्रिपुरा की शक्ति विनाश की भयानक क्षमता के साथ सृजन की अग्नि लिए हुए हैं। माँ के भक्त को ज्ञान एवं आशीर्वाद की प्राप्ति होती हैं तथा किसी भी प्रकार का भय माँ के भक्तों से कोसो दूर रहता हैं।
आज हम माँ भैरवी के आशीर्वाद से यंहा एक गुप्त एवं विद्या के बारे में जानकारी लेंगे । इस सिद्धि के साधक को जीवन के हर पड़ाव पर सफलता मिलती हैं एवं जीवन यापन अति मधुर तथा आनंदमयी हो जाता हैं। इस प्रयोग से साधक का शरीर कामदेव के समान सुंदर एवं प्रभाव युक्त हो जाता हैं । अतः जो भी साधक से मिलता हैं तो वो साधक के प्रभाव मैं खो जाता हैं एवं साधक का अनुसरण करने लग जाता हैं।
इस प्रयोग के लिए किसी भी मंगलवार का प्रयोग किया जा सकता हैं। समय रात्री में 10 बजे के बाद का रहे एवं नित्य समय सामान रहना चाहिए हैं। सर्वप्रथम अपने सामने एक लकड़ी के आसन पर माँ त्रिपुरा भैरवी का चित्र एवं माँ का यन्त्र स्थापित करें, अब तस्वीर एवं यन्त्र को स्नान करवा कर सिन्दूर का तिलक करें तत्पश्चात एक तिल के तेल का दीपक जला कर मंत्र जाप शुरू किया जा सकता हैं। याद रहे कि तेल का दीपक पूरी साधना प्रक्रिया में जलते रहना चाहिए हैं।
आपको लगातार 21 दिनों तक नित्य 1000 बार मंत्र जाप करना हैं 21 दिनों में जब 21000 मंत्र पूरे हो जाए तो माँ की तस्वीर एवं यन्त्र को अपने पूजा घर में रख देवे, आपको असर तुरंत ही दिखना शुरू हो जाएगा। याद रहे मंत्र जाप की संख्या निशित हैं कम या ज्यादा मंत्र जाप न करें।

मंत्र -
।। ह सैं ह स करी ह सैं ।।

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