पिछले
जन्म में प्रवेश, पूर्व जन्म के बारे में संदेह करने क़ी आवश्यकता नहीं है
! शास्त्रों में तथा महर्षि पतंजलि ने पूर्व जन्म के बारे में कहा है क़ि
अन्तकरण में स्थित संस्कारो पर संयम करने से योगी अपने पूर्व जन्म का ज्ञान
पा सकता है ! वह अपने ही नहीं अपितु दूसरो के पिछले जन्म के बारे में भी
जान सकता है! पातंजल योग दर्शन में कहा है - अपरिगृहस्थैय्रे
पूर्वजन्मकथंतासंबोध: ( साधनपाद-39 ) अर्थात अपरिग...ृहव्रत से भी पूर्व
जन्म का ज्ञान हो सकता है ! अपरिगृह का निष्ठांपूर्वक पालन करने से
पूर्वजन्म और वर्तमान जन्म के रहस्यों का ज्ञान होता है! पिछले जन्म के
बारे में भक्ति का मार्ग भी है जिसे आप ईश्वर कृपा का मार्ग भी कह सकते है !
अगर कोई साधक अपने पूर्व जन्म के बारे में ईश्वर से प्रार्थना करता है तो
प्रभु क़ि कृपा से भी उसे यह ज्ञान हो सकता है! कभी- कभार सिद्ध महापुरुषों
क़ी कृपा से पूर्व जन्म का ज्ञान मिलता
है! ऐसा भी होता है क़ि साधक को पूर्वजन्म का ज्ञान पाने क़ी तीर्व इच्छा
नहीं होती फिर भी उसे ईश्वर कृपा से यह ज्ञान मिल जाता है!पूर्वजन्म का
ज्ञान आत्मज्ञान या आत्मानुभव से भी मिल सकता है! कुछ साधको को स्वपन
अवस्था या ध्यान तथा समाधि अवस्था में ऐसे अनुभूति मिलती है! चंद / अर्थात
कुछ साधको को जाग्रत दशा में भी ऐसे अनुभूति होती है! शांति क़ी कामना और
आध्यात्मिक प्रगति के कारण पूर्वजन्म क़ी बात छिप जाती है! पूर्व जन्म का
ज्ञान पाने के लिए आपके पास कोई विशेष साधनात्मक भूमिका होना आवश्यक नहीं
है बल्कि आपके पास प्रार्थना का बल होना और ईश्वर पर भरोसा होना चाहिए !
(स्वान्म के बारे में ईश्वर से प्रार्थना करता है तो प्रभु क़ि कृपा से भी
उसे यह ज्ञान हो सकता है! कभी- कभार सिद्ध महापुरुषों क़ी कृपा से पूर्व
जन्म का ज्ञान मिलता है! ऐसा भी होता है क़ि साधक को पूर्वजन्म का ज्ञान
पाने क़ी तीर्व इच्छा नहीं होती फिर भी उसे ईश्वर कृपा से यह ज्ञान मिल
जाता है!पूर्वजन्म का ज्ञान आत्मज्ञान या आत्मानुभव से भी मिल सकता है! कुछ
साधको को स्वपन अवस्था या ध्यान तथा समाधि अवस्था में ऐसे अनुभूति मिलती
है! चंद / अर्थात कुछ साधको को जाग्रत दशा में भी ऐसे अनुभूति होती है!
शांति क़ी कामना और आध्यात्मिक प्रगति के कारण पूर्वजन्म क़ी बात छिप जाती
है! पूर्व जन्म का ज्ञान पाने के लिए आपके पास कोई विशेष साधनात्मक भूमिका
होना आवश्यक नहीं है बल्कि आपके पास प्रार्थना का बल होना और ईश्वर पर
भरोसा होना चाहिए !
(स्वामी सरस्वती)
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