रावण...........
..............द ुनिया मेंइस नाम का दूसरा कोई व्यक्ति नहीं है। राम तो
बहुत मिल जाएँगे, लेकिन रावण नहीं। रावण तो सिर्फ रावण है। राजाधिराज
लंकाधिपति महाराज रावण के रण कौशल की चर्चा दूर-दूर तक थी लेकिन दशरथ पुत्र
के आगे दशानन की नहीं चली............ .........हे राम।
वाल्मीकि रामायण अनुसाररावण एक वीर, धर्मात्मा, ज्ञानी, नीति तथा राजनीति शास्त्र का ज्ञाता, वैज्ञानिक, ज्योतिषाचार्य, रणनीति में निपुण एक कुशल राजनीतिज्ञ, सेनापति और वास्तुकला का मर्मज्ञ होने के साथ-साथ ब्रह्म ज्ञानी तथा बहु-विद्याओं का जानकार था। उसे मायावी इसलिए कहा जाता था कि वह इंद्रजाल, तंत्र, सम्मोहन और तरह-तरह के जादू जानता था। उसके पास एक ऐसा विमान था जो अन्य किसी के पास नहीं था। इस सभी के कारण सभी उससे भयभीत रहते थे।
**** रावण का परिवार ****
दानववंशीय योद्धाओं मेंविश्व विख्यात दुन्दुभिके काल में रावण हुआ। रावण के दादा पुलस्त्य ऋषि थे। ब्रह्मा के पुत्र पुलस्त्य और पुलस्त्य के पुत्र विश्रवा की चार संतानों में रावण अग्रज था। इस प्रकार वह ब्रह्माजी का वंशज था।
ऋषि विश्रवा ने ऋषि भारद्वाज की पुत्री इडविडा से विवाह किया था। इडविडा ने दो पुत्रों को जन्म दिया जिनका नाम कुबेर और विभीषण था। विश्रवा की दूसरी पत्नी कैकसी से रावण, कुंभकरण और सूर्पणखा का जन्म हुआ।
लक्ष्मण ने सूर्पणखा की नाक काट दी थी, जो रावण की बहन थी। इसी कारण रावण नेसीता का हरण कर लिया था। कुंभकरण के संबंध में कहा जाता है कि वह छह माह नींद में रहता था और छह माह जागता था। रावण के भाई विभीषण ने रावण का साथ छोड़कर युद्ध में राम का साथ दिया था।
कुबेर रावण का सौतेला भाई था। कुबेर धनपति था। कुबेर ने लंका पर राज कर उसका विस्तार किया था। रावण ने कुबेर से लंका कोहड़पकर उस पर अपना शासन कायम किया। लंका को भगवान शिव ने विश्वकर्मा से बनवाया था। ऐसा माना जाता है कि माली, सुमाली और माल्यवान नामक तीन दैत्यों द्वारा त्रिकुटसुबेल पर्वत पर बसाई लंकापुरी को देवों ने जीतकर कुबेर को वहाँ का लंकापति बना दिया था।
रावण की कई पत्नियाँ थीं जिनमें से मंदोदरी का स्थान सर्वोच्च था। सुंबा राज्य के राजा, वास्तुकार और इंजीनियर मयदानव ने रावण के पराक्रम से प्रभावित होकर अपनी परम रूपवान पाल्य पुत्री मंदोदरी का विवाह रावण से कर दियाथा। मंदोदरी की माता का नाम हेमा था जो एक अप्सराथी। मंदोदरी से रावण को परम पराक्रमी पुत्र प्राप्त हुआ जिसका नाम मेघनाद था। मेघनाद ने इंद्र को हरा दिया था इसलिए उसे इंद्रजीत भी कहा जाता है।
**** नाभि में जीवन ****
ऐसी मान्यता है कि रावण ने अमृत्व प्राप्ति के उद्देश्य से भगवान ब्रह्मा की घोर तपस्या कर वरदान माँगा लेकिन ब्रह्मा ने उसके इस वरदान को न मानते हुए कहाकि तुम्हारा जीवन नाभि में स्थित रहेगा।
**** शिवभक्त रावण ****
एक बार रावण जब अपने पुष्पक विमान से यात्रा कर रहा था तो रास्ते में एक वन क्षेत्र से गुजर रहा था। उस क्षेत्र के पहाड़ पर शिवजी ध्यानमग्न बैठे थे। शिव के गण नंदी ने रावण को रोकते हुए कहा कि इधर से गुजरना सभी के लिए निषिद्ध कर दिया गया है, क्योंकि भगवान तप में मगन हैं।
रावण को यह सुनकर क्रोध उत्पन्न हुआ। उसने अपना विमान नीचे उतारकर नंदी के समक्ष खड़े होकर नंदी का अपमान किया और फिर जिसपर्वत पर शिव विराजमान थे उसे उठाने लगा। यह देखशिव ने अपने अँगूठे से पर्वत को दबा दिया जिस कारण रावण का हाथ भी दब गया और फिर वह शिव से प्रार्थना करने लगा कि मुझे मुक्त कर दें। इस घटना के बाद वह शिव का भक्त बन गया।
**** रावण की रचना ****
रावण ने शिव तांडव स्तोत्र की रचना करने के अलावा अन्य कई तंत्र ग्रंथों की रचना की। कुछ का मानना है कि लाल किताब(ज्योतिष का प्राचीन ग्रंथ) भी रावण संहिता काअंश है। रावण ने यह विद्या भगवान सूर्य से सीखी थी। 'रावण संहिता' में उसके दुर्लभ ज्ञान के बारे में विस्तार से वर्णन मिलता है।
**** रावण पर रचना ****
वाल्मीकि रामायण और रामचरित रामायण में तो रावण का वर्णन मिलता ही है किंतु आधुनिक काल में आचार्य चतुरसेन द्वारा रावण पर 'वयम् रक्षामः' नामक बहुचर्चित उपन्यासलिखा गया है। इसके अलावा पंडित मदनमोहन शर्मा शाही द्वारा तीन खंडों में 'लंकेश्वर' नामक उपन्यास भी पठनीय है।
**** रावण का राज्य विस्तार ****
रावण ने सुंबा और बालीद्वीप को जीतकर अपने शासन का विस्तार करते हुए अंगद्वीप, मलयद्वीप, वराहद्वीप, शंखद्वीप, कुशद्वीप, यवद्वीप और आंध्रालय पर विजय प्राप्त की थी। इसके बाद रावण ने लंका कोअपना लक्ष्य बनाया। लंका पर कुबेर का राज्य था।
**** रावण का पुष्पक विमान ****
रावण ने कुबेर को लंका सेहटाकर वहाँ खुद का राज्य कायम किया था। धनपति कुबेर के पास पुष्पक विमान था जिसे रावण ने छीन लिया था। रावण के इस पुष्पक विमान में प्रयोग होने वाले ईंधन से संबंधित जानकारियों पर मद्रास की ललित कला अकादमी के सहयोग से भारत अनुसंधान केंद्र द्वाराबड़े पैमान पर शोध कार्य किया जा रहा है। रामायण में उल्लेख मिलता है कि यह पुष्पक विमान इच्छानुसार छोटा या बड़ा हो जाता था तथा मन की गति से उड़ान भरता था।
वाल्मीकि रामायण अनुसाररावण एक वीर, धर्मात्मा, ज्ञानी, नीति तथा राजनीति शास्त्र का ज्ञाता, वैज्ञानिक, ज्योतिषाचार्य, रणनीति में निपुण एक कुशल राजनीतिज्ञ, सेनापति और वास्तुकला का मर्मज्ञ होने के साथ-साथ ब्रह्म ज्ञानी तथा बहु-विद्याओं का जानकार था। उसे मायावी इसलिए कहा जाता था कि वह इंद्रजाल, तंत्र, सम्मोहन और तरह-तरह के जादू जानता था। उसके पास एक ऐसा विमान था जो अन्य किसी के पास नहीं था। इस सभी के कारण सभी उससे भयभीत रहते थे।
**** रावण का परिवार ****
दानववंशीय योद्धाओं मेंविश्व विख्यात दुन्दुभिके काल में रावण हुआ। रावण के दादा पुलस्त्य ऋषि थे। ब्रह्मा के पुत्र पुलस्त्य और पुलस्त्य के पुत्र विश्रवा की चार संतानों में रावण अग्रज था। इस प्रकार वह ब्रह्माजी का वंशज था।
ऋषि विश्रवा ने ऋषि भारद्वाज की पुत्री इडविडा से विवाह किया था। इडविडा ने दो पुत्रों को जन्म दिया जिनका नाम कुबेर और विभीषण था। विश्रवा की दूसरी पत्नी कैकसी से रावण, कुंभकरण और सूर्पणखा का जन्म हुआ।
लक्ष्मण ने सूर्पणखा की नाक काट दी थी, जो रावण की बहन थी। इसी कारण रावण नेसीता का हरण कर लिया था। कुंभकरण के संबंध में कहा जाता है कि वह छह माह नींद में रहता था और छह माह जागता था। रावण के भाई विभीषण ने रावण का साथ छोड़कर युद्ध में राम का साथ दिया था।
कुबेर रावण का सौतेला भाई था। कुबेर धनपति था। कुबेर ने लंका पर राज कर उसका विस्तार किया था। रावण ने कुबेर से लंका कोहड़पकर उस पर अपना शासन कायम किया। लंका को भगवान शिव ने विश्वकर्मा से बनवाया था। ऐसा माना जाता है कि माली, सुमाली और माल्यवान नामक तीन दैत्यों द्वारा त्रिकुटसुबेल पर्वत पर बसाई लंकापुरी को देवों ने जीतकर कुबेर को वहाँ का लंकापति बना दिया था।
रावण की कई पत्नियाँ थीं जिनमें से मंदोदरी का स्थान सर्वोच्च था। सुंबा राज्य के राजा, वास्तुकार और इंजीनियर मयदानव ने रावण के पराक्रम से प्रभावित होकर अपनी परम रूपवान पाल्य पुत्री मंदोदरी का विवाह रावण से कर दियाथा। मंदोदरी की माता का नाम हेमा था जो एक अप्सराथी। मंदोदरी से रावण को परम पराक्रमी पुत्र प्राप्त हुआ जिसका नाम मेघनाद था। मेघनाद ने इंद्र को हरा दिया था इसलिए उसे इंद्रजीत भी कहा जाता है।
**** नाभि में जीवन ****
ऐसी मान्यता है कि रावण ने अमृत्व प्राप्ति के उद्देश्य से भगवान ब्रह्मा की घोर तपस्या कर वरदान माँगा लेकिन ब्रह्मा ने उसके इस वरदान को न मानते हुए कहाकि तुम्हारा जीवन नाभि में स्थित रहेगा।
**** शिवभक्त रावण ****
एक बार रावण जब अपने पुष्पक विमान से यात्रा कर रहा था तो रास्ते में एक वन क्षेत्र से गुजर रहा था। उस क्षेत्र के पहाड़ पर शिवजी ध्यानमग्न बैठे थे। शिव के गण नंदी ने रावण को रोकते हुए कहा कि इधर से गुजरना सभी के लिए निषिद्ध कर दिया गया है, क्योंकि भगवान तप में मगन हैं।
रावण को यह सुनकर क्रोध उत्पन्न हुआ। उसने अपना विमान नीचे उतारकर नंदी के समक्ष खड़े होकर नंदी का अपमान किया और फिर जिसपर्वत पर शिव विराजमान थे उसे उठाने लगा। यह देखशिव ने अपने अँगूठे से पर्वत को दबा दिया जिस कारण रावण का हाथ भी दब गया और फिर वह शिव से प्रार्थना करने लगा कि मुझे मुक्त कर दें। इस घटना के बाद वह शिव का भक्त बन गया।
**** रावण की रचना ****
रावण ने शिव तांडव स्तोत्र की रचना करने के अलावा अन्य कई तंत्र ग्रंथों की रचना की। कुछ का मानना है कि लाल किताब(ज्योतिष का प्राचीन ग्रंथ) भी रावण संहिता काअंश है। रावण ने यह विद्या भगवान सूर्य से सीखी थी। 'रावण संहिता' में उसके दुर्लभ ज्ञान के बारे में विस्तार से वर्णन मिलता है।
**** रावण पर रचना ****
वाल्मीकि रामायण और रामचरित रामायण में तो रावण का वर्णन मिलता ही है किंतु आधुनिक काल में आचार्य चतुरसेन द्वारा रावण पर 'वयम् रक्षामः' नामक बहुचर्चित उपन्यासलिखा गया है। इसके अलावा पंडित मदनमोहन शर्मा शाही द्वारा तीन खंडों में 'लंकेश्वर' नामक उपन्यास भी पठनीय है।
**** रावण का राज्य विस्तार ****
रावण ने सुंबा और बालीद्वीप को जीतकर अपने शासन का विस्तार करते हुए अंगद्वीप, मलयद्वीप, वराहद्वीप, शंखद्वीप, कुशद्वीप, यवद्वीप और आंध्रालय पर विजय प्राप्त की थी। इसके बाद रावण ने लंका कोअपना लक्ष्य बनाया। लंका पर कुबेर का राज्य था।
**** रावण का पुष्पक विमान ****
रावण ने कुबेर को लंका सेहटाकर वहाँ खुद का राज्य कायम किया था। धनपति कुबेर के पास पुष्पक विमान था जिसे रावण ने छीन लिया था। रावण के इस पुष्पक विमान में प्रयोग होने वाले ईंधन से संबंधित जानकारियों पर मद्रास की ललित कला अकादमी के सहयोग से भारत अनुसंधान केंद्र द्वाराबड़े पैमान पर शोध कार्य किया जा रहा है। रामायण में उल्लेख मिलता है कि यह पुष्पक विमान इच्छानुसार छोटा या बड़ा हो जाता था तथा मन की गति से उड़ान भरता था।
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