Friday, June 22, 2012

उपदेश कथा

अधिकार की रोटी

एक राजा के पास एक दिन एक संत आए कई विषयों पर चर्चा की संत ने राजा से अधिकार की रोटी पर भी चर्चा की राज ने इसके बारे मे विस्तार से जानना चाहा तो संत ने उसे एक वृद्धा का पता दिया और कहा कि वही उसे इसकी सही जानकारी दे सकती है राजा तत्काल उस वृद्धा की तलाश मे राजमहल से निकल पड़े काफ़ी खोजने के बाद उसे वह मिली जो अपनी झोपड़ी पर बैठी चरखा कात रही थी राजा ने उससे अधिकार की रोटी का प्रश्न पूछा और उसने कहा कि आज आप से वही लेने आया हूँ वृद्धा ने उत्तर दिया मेरे पास एक रोटी है उसमें आधी अधिकार की है और आधी बिना अधिकार की राजा ने बात अच्छी तरह समझना चाहा तब वृद्धा ने बताया कल मे यहाँ चरखा कात रही थी दिन ढल गया था अँधेरा फैल गया था तभी सड़क पर एक जुलूस आया उसमें मशाले जल रही थी मै अपना चिराग न जलाकर आधी सूत उन मशालो की रोशनी मे कातती रही आधी पहले कात चुकी थी उस सूत को बेच कर आटा खरीद लाई आटे की रोटी बनाई इस तरह आधी रोटी मेरे अधिकार कि है और आधी बिना अधिकार कि है उस पर मेरा अधिकार नही है जुलूस वालों का अधिकार है अब राजा को अपना उत्तर मिल गया

"बिल्ली मत पालना"

एक गुरु ने मरते वक्त अपने शिष्य से कहा बिल्ली मत पालना यही आध्यात्मिक सफलता का सूत्र है शिष्य उस सूत्र मे उलझकर रह गया फिर उसने सोचा गुरु मरते समय सठिया गया था थोड़े दिन बाद शिष्य उस बात को भूल गया एक जंगल मे एक कृटिया बना कर ध्यान करने लगा जहाँ चूहे बहुत थे शिष्य के सारे कपड़े काट डाले वह परेशान रहने लगा तब एक बुजुर्ग ने सलाह दी बिल्ली पाल लो चूहे नही रहेंगे उसने बिल्ली पाल ली लेकिन बिल्ली के लिए भिक्षा के साथ अब दूध भी मांगना पड़ता लोग दूध देने मे कतराने लगे तब बुजुर्ग ने सलाह दि गाय पाल लो यहाँ आस पास चारा बहुत है उस को बात पसंद आई और गाय भी पाल ली फिर गाय ने बछडा दिया अब शिष्य को फुरसत नही मिलती ध्यान पूजा सभ छूट गया तब बुजुर्ग ने सलाह दी गृहस्थ रहकर भी ध्यान पूजा कर सकते हो पत्नी तो गाय बछडा सभ संभाल लेगी और आप ध्यान करो शिष्य को बात जच गई फिर देखते ही देखते दो तीन बच्चे हो गये और झँझट शुरू अंततः जब वह मरने लगा तो उसे गुरु की याद आई गुरु ने एक सूत्र दिया था कि बिल्ली मत पालना > हमेशा ध्यान रहै छोटी छोटी लगने वाली बात भी आपको आपके प्रमुख उपदेश्य से भटका सकती है

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