र भी
चौरासी के कैदी ही रहते हैं | इच्छाओं का कोई अन्त नहीं है | ये तो अंधे
कुएं के सामान है, एक पूरी हो तो दस खडी हो जाती हैं | ज्ञानी वो हैं जिनके
अन्दर संसार की कोई कामना नहीं होती है | वे सच्चे परमार्थी ज्ञान की
प्राप्ति करके मोक्ष पाना चाहते हैं | ऐसे भक्तजन भी राम-नाम के अभ्यास से
गूढ़ परमार्थी ज्ञान को प्राप्त करके मोक्ष की प्राप्ति कर लेते हैं |
चारों प्रकार के भक्तों को राम-नाम के अभ्यास द्वारा मनवांछित फल प्राप्त
हो जाता है |
तुलसीदास जी समझाते हैं कि इन सब भक्तों में ज्ञानी भक्त प्रभु को विशेष प्रिय होते हैं, क्योंकि उनके अन्दर कोई सांसारिक कामना नहीं होती | वे भक्ति द्वारा अपने परमपिता का ज्ञान प्राप्त करने की चेष्टा करते हैं | इसी लिए प्रभु के प्यारे होते हैं | जो भक्त सभी सांसारिक कामनाओं को छोड़ कर केवल प्रेम और भक्ति के वश में होकर राम-नाम का अभ्यास करता है, उसका मछली रूपी मन मानों राम-नाम रूपी अमृत-कुंद में निवास करता है | आत्मा शरीर के आवरणों मन के बन्धनों से मुक्त होकर राम-नाम रूपी मानसरोवर में प्रवेश करती है |
तुलसीदास जी समझाते हैं कि इन सब भक्तों में ज्ञानी भक्त प्रभु को विशेष प्रिय होते हैं, क्योंकि उनके अन्दर कोई सांसारिक कामना नहीं होती | वे भक्ति द्वारा अपने परमपिता का ज्ञान प्राप्त करने की चेष्टा करते हैं | इसी लिए प्रभु के प्यारे होते हैं | जो भक्त सभी सांसारिक कामनाओं को छोड़ कर केवल प्रेम और भक्ति के वश में होकर राम-नाम का अभ्यास करता है, उसका मछली रूपी मन मानों राम-नाम रूपी अमृत-कुंद में निवास करता है | आत्मा शरीर के आवरणों मन के बन्धनों से मुक्त होकर राम-नाम रूपी मानसरोवर में प्रवेश करती है |
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